हरियाणा: निशान सिंह के खिलाफ एकजुट हुए JJP नेता
जजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि निशान सिंह ने कार्यकर्ताओं का कभी फायदा नहीं देखा और अपने ही फायदे के लिए फैसले लिए। छोटे से छोटा फैसला व सरकार के आदेश अपने हिसाब से करना चाहते थे। कार्यकर्ताओं को जमकर शोषण किया। उनकी महत्वाकांक्षाएं काफी बढ़ चुकी थी।
फतेहाबाद (आरएनआई) जननायक जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह के इस्तीफे देने के दूसरे दिन मंगलवार को जजपा के फतेहाबाद जिला पदाधिकारियों ने एकजुटता दिखाते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। जजपा कार्यालय में पत्रकार वार्ता में इन पदाधिकारियों ने निशान सिंह पर कार्यकर्ताओं का शोषण करने तक के आरोप लगाए। साथ ही कहा कि जैसे शादी समारोह में फूफा रूठते हैं, वैसे ही हर छह महीने में निशान सिंह रूठ जाते थे। हलका स्तर के पदाधिकारियों के साथ भी उलझते रहते थे।
प्रेस वार्ता में जजपा के जिलाध्यक्ष रविंद्र बैनीवाल और रतिया हलके के प्रधान राकेश सिहाग, फतेहाबाद के हलका प्रधान सुभाष गोरछिया, प्रदेश कार्यालय सचिव के बेटे पंकज झाझड़ा, युवा प्रदेश प्रवक्ता जतिन खिलेरी, जिला प्रवक्ता दिनेश बंसल, जिला उपप्रधान मनोज किरढान, पवन जिंदल, सौरभ चौधरी, किसान प्रकोष्ठ के जिला प्रधान साधुराम गोरखपुर, सतीश गढ़वाल, सोनू दहमान, इंद्रजीत आदि पदाधिकारी मौजूद रहे।
जजपा जिलाध्यक्ष रविंद्र बेनीवाल और रतिया हलका प्रधान राकेश सिहाग ने कहा कि प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह और प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र लेगा ने ही पार्टी छोड़ी है। इनके अलावा जिले से संगठन के किसी नेता ने पार्टी नहीं छोड़ी। ममता कटारिया और रेखा शाक्य काफी समय से पार्टी में किसी भी पद पर नहीं थी। राकेश सिहाग ने कहा कि साढ़े चार साल पहले जब पार्टी सत्ता में आई तो निशान सिंह के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने काम किया, जो सरकार से फायदा व मजबूती मिलनी थी, वो निशान सिंह ने ली।
उनकी भावनाओं से खिलवाड़ किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि निशान सिंह ने कार्यकर्ताओं का कभी फायदा नहीं देखा और अपने ही फायदे के लिए फैसले लिए। छोटे से छोटा फैसला व सरकार के आदेश अपने हिसाब से करना चाहते थे। कार्यकर्ताओं को जमकर शोषण किया। उनकी महत्वाकांक्षाएं काफी बढ़ चुकी थी। सिहाग ने कहा कि उनके जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, बल्कि कार्यकर्ता अब और मजबूती से काम करेंगे।
जजपा नेताओं ने किसानों के विरोध के सवाल पर कहा कि भाजपा के साथ रहने से यह सब हो रहा है और किसानों को यदि लगता है कि जजपा ने कुछ ठीक नहीं किया है, तो वे उनसे क्षमा मांगते हैं। दुष्यंत चौटाला न तो केंद्र में मंत्री थे, न ही उन्होंने कानून बनाए थे, इसलिए किसानों को जजपा का विरोध नहीं करना चाहिए। अब जो नेता जा रहे हैं, वे चुनावी नेता हैं, जो चुनाव के समय अपनी महत्वाकांक्षा के लिए इधर उधर चले जाते हैं। उनके जाने से कोई नुकसान नहीं होगा।
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