नाबालिग के दादा और पिता को मिली जमानत, ड्राइवर का अपहरण कर कैद में रखने का था आरोप

पुणे में हुए पोर्श कार हादसे के मामले में अदालत ने आरोपी किशोर के दादा सुरेंद्र अग्रवाल और पिता विशाल अग्रवाल को जमानत दे दी है। दोनों पर अपने परिवार के ड्राइवर का अपहरण कर कैद करने के आरोप थे।

Jul 2, 2024 - 18:33
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नाबालिग के दादा और पिता को मिली जमानत, ड्राइवर का अपहरण कर कैद में रखने का था आरोप

पुणे (आरएनआई) पुणे के एक रियल एस्टेट डेवलपर के नाबालिग बेटे ने नशे में धुत होकर सड़क पर तेज रफ्तार से लग्जरी कार चलाई। कार ने एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी और दो लोगों की मौत हो गई। जब अदालत ने नाबालिग को सड़क दुर्घटना पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को दिया तो देश भर में चर्चाएं शुरू हो गईं। सवाल उठने लगे तो शासन-प्रशासन हरकत में आ गया। अब इस मामले में पुणे की एक अदालत ने आरोपी किशोर के दादा सुरेंद्र अग्रवाल और पिता विशाल अग्रवाल को जमानत दे दी है। दोनों पर अपने परिवार के ड्राइवर का अपहरण कर कैद करने के आरोप थे।

पुणे के पुलिस प्रमुख अमितेश कुमार ने इस मामले में बड़े खुलासे किए थे। पुणे पुलिस आयुक्त कहा था कि नाबालिग के पिता और दादा ने अपने ड्राइवर को पहले तोहफे और नकद राशि का लालच दिया। इसके बाद उसे धमकाया गया कि इस हादसे की जिम्मेदारी अपने सिर पर ले। ड्राइवर और उसके परिवार को पुलिस ने सुरक्षा प्रदान की थी। पुलिस आयुक्त का कहना है कि पूर्व में ड्राइवर द्वारा बयान दिया जा चुका था कि हादसे के दिन वह कार चला रहा था। इसके बाद इस बात का खुलासा हुआ कि कार को ड्राइवर नहीं बल्कि नाबालिग चला रहा था। तथ्यों की पुष्टि के बाद, नाबालिग के पिता और दादा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।

अमितेश कुमार ने आगे कहा कि जब ड्राइवर यरवदा पुलिस स्टेशन जा रहा था तो नाबालिग के पिता और दादा ने उसे अपनी कार में बिठाया। इसके बाद दोनों ने ड्राइवर का फोन जब्त कर उसे अपने बंगले में कैद कर लिया। नाबालिग के दादा सुरेंद्र अग्रवाल और पिता विशाल अग्रवाल ने ड्राइवर को धमकाया कि उनके निर्देशों के हिसाब से बयान दे। इसके बाद ड्राइवर को तोहफे और नकदी की पेशकश की गई। इस दौरान उसे धमकी दी गई कि सारे आरोपों को अपने सिर पर ले। पुलिस के अनुसार ड्राइवर की पत्नी अगले दिन सुरेंद्र अग्रवाल और विशाल अग्रवाल के बंगले पर पहुंची और अपने पति को मुक्त कराया। 

विशाल अग्रवाल और सुरेंद्र अग्रवाल पर आईपीसी की धारा 365 (किसी व्यक्ति कैद करने के इरादे से अपहरण करना) और 368 (गलत तरीके से कैद में रखना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुणे पुलिस ने इस मामले में लापरवाही बरतने के लिए के लिए यरवदा पुलिस स्टेशन के एक निरीक्षक सहित दो पुलिसकर्मियों को निलंबित किया था। 

पुणे शहर में 18-19 मई की दरम्यानी रात को करीब तीन करोड़ रुपये की पोर्श कार को तेज गति से दौड़ाने के चक्कर में 17 साल के लड़के ने एक बाइक को टक्कर मार दी थी। गाड़ी की टक्कर इतनी जोरदार थी कि बाइक अपना संतुलन खोकर काफी दूर तक सड़क पर घिसटते चली गई, जिससे उस पर सवार दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मौके पर मौजूद लोगों ने हादसे की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद आरोपी नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी। कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था। बाद में विवाद बढ़ा तो कोर्ट ने उसकी जमानत रद्द कर दी। हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था।

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