नहीं चलेगी निजी स्कूलों की मनमानी, बिना अनुमति के नहीं बढ़ा सकेंगे फीस
दिल्ली के स्कूलों में एक अप्रैल से शैक्षणिक सत्र 2024-25 की शुरूआत होने जा रही है। इस सत्र में फीस बढ़ाने पर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में शिक्षा निदेशालय ने एक आदेश जारी किया है।
नई दिल्ली (आरएनआई) दिल्ली में सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूल शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए फीस नहीं बढ़ा सकते हैं। यदि वह शिक्षा निदेशालय की मंजूरी के बिना फीस बढ़ाते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में शिक्षा निदेशालय ने एक आदेश जारी किया है। जबकि कुछ स्कूलों ने एक अप्रैल से शुरू होने वाले सत्र 2024-25 के लिए अभिभावकों से पहले ही बढ़ी हुई फीस ले ली है। फीस बढ़ाने की मंजूरी मिलने के बाद वह फिर से एरियर के साथ अभिभावकों से फीस वसूलेंगे। इस कारण से अभिभावक अभी से परेशान हैं।
शिक्षा निदेशालय ने आदेश जारी कर दिल्ली में सरकारी एजेंसी से आवंटित जमीन पर बने स्कूलों से 2024-25 सत्र में फीस बढ़ाने के लिए प्रस्ताव देने को कहा है। स्कूलों को फीस बढ़ाने के लिए प्रस्ताव जरूरी दस्तावेजों व वित्तीय रिकॉर्ड के साथ एक अप्रैल से 15 अप्रैल तक भेजने को कहा है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि प्रस्ताव नहीं भेजने वाले स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं होगी।
शिक्षा निदेशक द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अधिकारी या दल के माध्यम से स्कूलों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों की जांच की जाएगी। स्कूलों को सख्त हिदायत दी गई है कि जब तक उनके भेजे गए प्रस्ताव पर शिक्षा निदेशक की स्वीकृति नहीं मिल जाती है तब कोई भी फीस में बढ़ोतरी ना करे। यदि स्कूल फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं करता, तो वह शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए अपनी फीस में वृद्धि नहीं करेगा।
शिक्षा निदेशालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि बिना मंजूरी के फीस बढ़ाने की शिकायत मिलने पर इसे गंभीरता से लिया जाएगा। ऐसे में स्कूल के खिलाफ वैधानिक प्रावधानों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
स्कूलों का शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से शुरू होना है और कई स्कूल पहले ही अभिभावकों से 10-12 फीसदी फीस बढ़ाकर ले चुके हैं। अभिभावकों का आरोप है कि फीस बढ़ाने की मंजूरी मिलने पर स्कूल एरियर के साथ फीस फिर से लेंगे। इससे उन्हें एक साल में दो बार बढ़ी फीस देनी होगी। दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम कहती हैं कि सत्र शुरू होने वाला है उससे दो तीन दिन पहले फीस बढ़ाने के प्रस्ताव मांगने का आदेश निकालना अभिभावकों को गुमराह करने जैसा है।
जबकि निदेशालय को पहले ही अपनी वेबसाइट पर फीस का ढांचा डालना जरूरी है। जिससे अभिभावकों को पता चल सके कि उन्हें किस-किस मद में कितनी फीस देनी है। लेकिन निदेशालय की ओर से ऐसा नहीं किया जाता। अब यदि किसी स्कूल को जुलाई या अक्टूबर तक फीस बढ़ाने की मंजूरी मिलेगी तो वह एरियर के साथ बढ़ी हुई फीस अभिभावकों से वसूलेगा।
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