नमामि गंगे परियोजना प्रदेश की समस्त पंचायतों में जल स्त्रोतों तथा नदी, तालाबों, कुआँ, बावड़ी तथा अन्य जल स्त्रोतों के संरक्षण एवं पुर्नजीवन हेतु 05 जून से 15 जून तक विशेष अभियान
गुना (आरएनआई) मध्य प्रदेश शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल द्वारा समस्त कलेक्टर एवं समस्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को निर्देशित किया गया है कि प्रदेश में पूर्व निर्मित विषयांतर्गत अनेकानेक ऐसी जल संग्रहण संरचनाएं (जैसे नदी, तालाबों, कुओं, बावड़ी आदि) उपलब्ध हैं जो कि वर्तमान में विभिन्न कारणों से अनुपयोगी हो गई हैं। जल स्त्रोतों का अविरल बनाये जाने के लिए इन संरचनाओं का पुर्नरोद्धार/ जीर्णोद्धार एवं नवीनीकरण किया जाकर इन्हें उपयोगी, यथासंभव आर्थिक रूप से भी उपयोगी बनाया जाना आवश्यक है।
इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर दिनांक 5 जून से 15 जून तक की अवधि में प्रदेश में प्रवाहित होने वाली नदियों, तालाब एवं जल संरचनाओं के पुर्नजीवीकरण/ संरक्षण का विशेष अभियान चलाया जायेगा। उक्त अभियान हेतु ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग नोडल विभाग होगा।
अभियान के दौरान मनरेगा योजना अंतर्गत जल संरक्षण/संवर्धन के 2.07 लाख, प्रगतिरत कार्य जैसे कपिलधारा कूप, खेत तालाब, सामुदायिक तालाब इत्यादि को अभियान अवधि में अधिक से अधिक कार्य पूर्ण कराने हेतु आवश्यक प्रयास किया जाये। इस विशेष अभियान के अंतर्गत समस्त जिला कलेक्टर के नेतृत्व में जन प्रतिनिधि, सामाजिक तथा अशासकीय संस्थाओं एवं योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के अंतर्गत कार्यरत जन अभियान परिषद की सहभागिता सुनिश्चित कराई जानी है। अभियान का क्रियान्वयन निम्नानुसार संपादित किये जाने के निर्देश जारी किये हैं -
जल संरक्षण तथा संवर्धन के अपूर्ण कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर इस अभियान में पूर्ण कराया जाये, मनरेगा से निर्मित तालाब निर्माण के पूर्ण कार्य जो 05 वर्ष या अधिक पुराने हैं तथा जिनमें नरेगा से जीर्णोद्वार/गहरीकरण का कार्य आवश्यक है के जीर्णोद्धार/गहरीकरण का कार्य अभियान अंतर्गत लिया जाए।
जल संग्रहण संरचना के पुनरोद्धार/जीर्णोद्धार के अंतर्गत मुख्य रूप से कैचमेंट क्षेत्र में अवरोध का चिन्हांकन कर उपस्थित अवरोधों/ अतिक्रमण को हटाकर, फीडर चैनल बनाकर या अन्य आवश्यक उपाय कर पानी की आवक में वृद्धि किया जाना, पानी का रिसाव रोकने के लिये पडल तथा आवश्यक हर्टिंग कार्य किये जाये, डूब क्षेत्र का निर्धारण कर उपस्थित अवरोधों/अतिक्रमण को हटाया जाना, पूर्व निर्मित तालाब के पाल (बंड) की मिटटी के कटाव अथवा क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में तालाब के पाल (खंड) को उसके मूल स्वरूप में पुनः निर्मित (Re-Sectioning) किया जाना, तालाबों की पिंचिंग, बोल्डर-टो तथा घाट आदि की मरम्मत का कार्य, वेस्ट वियर के स्थान तथा रूपांकन में सुधार कर मरम्मत कार्य, मनरेगा के अतिरिक्त अन्य मद से जल संरचनाओं से गाद निकालना एवं गहरीकरण का कार्य किया जाना, आवश्यकता अनुरूप नवीन फीडर चैनल/फीडर बण्ड का निर्माण, कैचमेंट क्षेत्र से अवरोधो को हटाना, हाईड्रोलिक गणना कर चेकडेम/ स्टापडेम में गेट लगाना तथा मेन वॉल, साईड वॉल, की-वॉल, एप्रोन इत्यादि में मरम्मत/ अतिरिक्त निर्माण कार्य, अन्य तकनीकी रूप से आवश्यक कार्य किये जाये।
तालाब जीर्णोद्धार हेतु पुष्कर धरोहर अभियान अंतर्गत जारी निर्देशों में प्रदत्त तकनीकी निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए। जल संरचनाओं के चयन के साथ-साथ इनके जीर्णोद्धार तथा नवीनीकरण के परिणाम संयोजित उददेश्य जैसे जल प्रदाय, पर्यटन, भू-जल संरक्षण, मत्स्य पालन, सिंघाड़े का उत्पादन इत्यादि का स्पष्ट निर्धारण किया जाये। उपरोक्त के अतिरिक्त चयनित जल संरक्षण तथा संवर्धन संरचनाओं का जीर्णोद्धार/उन्नयन कार्य स्थानीय, सामाजिक, अशासकीय संस्थाओं एवं जनभागीदारी के माध्यम से कराया जा सकता है, जिस हेतु जनभागीदारी से सहयोग प्राप्त किया जा सकता है -
जीर्णोद्धार/नवीनीकरण किये जाने वाले जल संग्रहण संरचना के कैचमेन्ट में आने वाले अतिक्रमण एवं अन्य गतिरोधों को दूर करना, कार्य चयन में सहयोग, विस्तृत डीपीआर तैयार करने एवं कार्य के क्रियान्वयन में आवश्यक सहयोग प्रदान करना। क्रियान्वयन के दौरान जनभागीदारी श्रम, सामग्री, मशीनरी अथवा धन राशि के रूप में सहयोग, जीणोंद्वार/नवीनीकरण कार्य की सतत निगरानी करना, कैचमेंट से आने वाले रन ऑफ के मार्ग के बदलावो तथा अवरोधो पर स्टेक होल्डर का अभिमत एवं चिन्हांकन, डूब क्षेत्र के निर्धारण हेतु स्थानीय लोगों से चर्चा कर एचएफएल का चिन्हांकन, जल संरचना के विभिन्न घटकों में आवश्यक सुधार तथा उनकी प्राथमिकता का निर्धारण, वेस्टवियर की मूल ऊंचाई, क्षति, सुधार का इतिहास और परिवर्तन पर समुदाय/स्टेक होल्डर से संवाद कर आवश्यक सुधारों का आंकलन, तालाब में जमा गाद की मोटाई का आंकलन, बांध के पाल से पानी के रिसाव के संबंध में जानकारी एवं उसका आंकलन, आवश्यकतानुसार बंड तथा बेस्टवियर की लंबाई का सर्वेक्षण किया जाये।
जल संरचनाओं के चयन एवं उन्नयन कार्य में जीआईएस तकनीक का उपयोग किया जाये, वास्तविक सर्वेक्षण कर जल ग्रहण क्षेत्रफल जात किया जावे। इसके लिए टोपोशीट, भुवन, जियो पोर्टल व अन्य वेबसाईट की मदद से जानकारी संकलित की जा सकती है, जल संग्रहण संरचनाओं से निकाली गई मिट्टी एवं गाद का उपयोग स्थानीय कृषकों के खेतों में किया जाये, जल संरचनाओं के किनारों पर यथासंभव बफर जोन तैयार किया जाये। इस जोन में हरित क्षेत्र/पार्क का विकास किया जाये। जल संरचनाओं के किनारों पर अतिक्रमण को रोकने के लिये फेसिंग के रूप में वृक्षारोपण किया जाये तथा इनके संरक्षण के लिये सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से जागरुकता अभियान चलाया जाये, जल संरचनाओं के आसपास किसी भी प्रकार का सूखा अथवा गीला कचरा फेंकना प्रतिबंधित किया जाये। यदि पूर्व से ऐसे कचरा पाया जाता है तो उसे हटवाया जावे तथा प्रतिबंधित गतिविधियों हेतु सूचना पट्टी लगाई जाये, जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार/ नवीनीकरण कार्य के क्रियान्वयन के दौरान गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जावे एवं अभियान के दौरान किये जा रहे कार्य एवं उपलब्धियों का दस्तावेजीकरण किया जाकर इसकी रिपोर्ट भेजी जायेगी।
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