नगरपालिका क्षैत्र की आवाम की चुप्पी,तू भी चुप,में भी चुप, इस चुपा-चुप्पी के खेल में नगरपालिका ओर जिला प्रशासन मस्त
गुना (आरएनआई) आखिर जिन प्रशासनिक अधिकारियों,के ऊपर जो जिम्मेदारी हे । उसे कौन देखेगा जानकारी अनुसार नगरपालिका प्रशासन में जो ठेके पर रखे गये कर्मचारी हे। वह 30,40,लाख से लेकर करोड़ों की फाईल चला रहे हे ओर भुगतान भी हो रहा हे।
नपा नियमो के जानकार बताते हैं कि इन ठेका कर्मियों को महज बर्ष 2015-16 के लिए रखा गया था तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष सलूजा द्वारा संकल्प क्रमांक 274 में स्पष्ट लेख हे। यही हाल हे तो फिर जिम्मेदार कौन?
दूसरी तरफ जिले के कलेक्टर लम्बे चौड़े बीघा के रकबे में रहने बाले घर से चार पहिया में ऑफिस वी और बापिस चार पहिया से घर क्या इनकी जिम्मेदारी नही हे शहर का भ्रमण करना ! ओर निरंकुश नगरपालिका पर अंकुश लगाना।
अगर यय नाकाम हे तो यह सचिवालय में बैठे या नोकरी छोड़ दें? लाखों लोगों का शहर बद से बद्तर हो गया ओर राजनेता समाज सेवी, कलमकार सब चुप!
रही बात विकास की तो शहर के निवासी और शहर के लिए जिम्मेदार सभी कलमकारों को अब यह ज़िम्मा लेना चाहिए कि जब तक कलेक्टर शहर की व्यवस्था दुरस्त नहीं करवाते तब तक उनके समाचार यूं ही छपेंगे!
लोकोपयोगी अदालत में जनहित के प्रकरण में आदेश के विरुद्ध प्रशासन हाईकोर्ट में पिटिशन की,जिसकी सुनवाई में उसे खारिज करने के साथ प्रशासन के अधिकारियों को फटकार के बाद लिखित में देने के उपरांत भी सर्वे नंबर 722 के अतिक्रमण से लगते जाम का निराकरण नही हुआ। परिपालन न होने पर कोर्ट ऑफ कंटेंप के तहत सीजेएम कोर्ट में सिविल जेल की करवाई का आवेदन तहसीलदार और कलेक्टर के विरुद्ध प्रचलित हैं। क्योंकि विगत डेढ़ साल से झूठे आश्वासन तथा गलत जानकारी पेश की जा रही न्यायालय में।
Follow the RNI News channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2Xp81Z
What's Your Reaction?