नगर निगम के वाट्सएप ग्रुप पर साइबर अटैक, APK फाइल के जरिये उपायुक्त सहित कर्मचारियों को बनाया शिकार
ग्वालियर (आरएनआई) अभी तक आपने पर्सन टू पर्सन साइबर ठगी के मामले सूने होंगे यानि साइबर ठगों ने किसी पर्टिकुलर एक नंबर पर कॉल कर उसे झांसे में लेकर उसके एकाउंट से पैसे निकाल लिए लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है वो सामूहिक साइबर ठगी का है, ठगों ने ग्वालियर नगर निगम के अलग अलग विभागों में पदस्थ अधिकारियों सहित कर्मचारियों के साथ एपीके फ़ाइल की मदद से ठगी कर ली, ग्वालियर पुलिस इस मामले की जाँच कर रही है।
जानकारी के मुताबिक इस बार ठगों ने ग्वालियर नगर निगम के व्हाट्सएप ग्रुपों पर साइबर अटैक किया, हैकर्स ने उपायुक्त डॉ प्रदीप श्रीवास्तव सहित कुछ कर्मचारियों के मोबाइल को हैक कर उनके बैंक खातों से रकम निकाल ली, इस दौरान करीब 15 मिनट से आधा घंटे तक मोबाइल नॉन फंगशनिंग रहे यानि हैक रहे और इसी दौरान रुपये निकल गए।
उपायुक्त सहित कर्मचारियों के साथ साइबर ठगी
एक साथ ठगी करने के लिए ठगों ने अलग अलग व्हाट्सएप ग्रुपों को टारगेट किया , ग्रुप में एपीके फ़ाइल भेजी गई और उसे डाउन लोड करते ही बैंक खाते से रुपये गायब हो गए। हैकर ने ग्रुप से नंबर निकालकर किसी की अश्लील वीडियो भेजी और उसे ओपन करते ही एकाउंट खाली हो गया, इसी तरह कर्मचारियों के साथ साइबर क्राइम किया गया।
साइबर ठगी का सबसे बड़े शिकार ग्वालियर नगर निगम के उपायुक्त डॉ प्रदीप श्रीवास्तव हुए, उनके बैंक एकाउंट से 47,000 रुपये निकल गए, हालाँकि उनके साथ ठगी एपीके फ़ाइल के जरिये ही हुई है लेकिन उनका मामला थोडा अलग है और सरकारी बैंक की साइबर सिक्युरिटी की पोल भी खोल रहा है, उन्होंने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ से फोन पर बात कर पूरा घटनाक्रम बताया।
google ने जो कस्टमर केयर नंबर दिया वो ठग का निकला, बना लिया शिकार
उपायुक्त डॉ प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि मैंने अमेजन प्राइम का सब्सक्रिप्शन लिया था, इसके लिए ऑनलाइन रिचार्ज करवाया। रिचार्ज करवाने के बाद भी जब एप्लीकेशन पर सब्सक्रिप्शन चालू नहीं हुआ और बार बार फेल्ड बता रहा तो मैंने गूगल पर जाकर अमेजन प्राइम का कस्टमर केयर का नंबर सर्च किया। गूगल ने मुझे जो नंबर प्रोवाइड कराया तो मैंने उस नंबर पर कॉल किया तो सामने से बात करने वाले व्यक्ति ने खुद को अमेजन प्राइम का कर्मचारी बताते हुए बात की।
प्राइवेट बैंक एकाउंट से नहीं निकले, सरकारी से तत्काल निकल गए
उसने बात करते हुए कहा कि रिचार्ज नहीं हो रहा रुकिए ट्राई करते हैं, उसने कार्ड की डिटेल मांगी, पहले मैंने अपने प्राइवेट बैक की डिटेल मांगी तो उससे भी नहीं हुआ, उसने मुझे एसएमएस पर एक लिंक भेजी और उसे ओपन करने के लिए कहा और मुझसे कोई और कार्ड की डिटेल देने के लिए कहा, तो मैंने उसके कहने पर अपने सेलरी वाले बैंक का कार्ड डिटेल बता दिया। उसने जैसे ही सरकारी बैंक वाले कार्ड नंबर डाला 2000 रुपये कट गए, मुझे समझ आ गया कि मेरे साथ ठगी हो रही है, मैंने उससे कहा तो ठग हो तो बोला नहीं सर मैं कर्मचारी ही हूँ। इसके तत्काल बाद मोबाइल हैक हो गया और करीब आधा घंटे तक मोबाइल हैक रहा और जब चालू हुआ तब तक मेरे खाते से कुल 47 हजार रुपये निकल चुके थे।
उपायुक्त ने ठग को भांपते हुए बड़ा एमाउंट बहू के एकाउंट में ट्रांसफर किया तो बच गए
डॉ प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि डाउट होते ही मैंने बैंक एकाउंट से एक बड़ा एमाउंट अपनी बहू के खाते में ट्रांसफर कर दिया और उसी समय रात को ही बैंक को फोन लगाकर खाता बंद करवाने के लिए कहा, लेकिन तब तक उस ठग अपना काम कर चुका था लेकिन मेरा बड़ा एमाउंट बच गया। मैंने तुरंत बैंक के हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया। उन्होंने मेरा खाता तो ब्लाक कर दिया, लेकिन खाता फ्रीज करने से मना करते हुए बोले कि आपको पुलिस में कंप्लेंट करनी पड़ेगी। एसपी ऑफिस पहुंचकर साइबर क्राइम विंग में शिकायत की है। इसके बाद खाता फ्रीज कराने की प्रक्रिया शुरू हुई।
उपायुक्त सहित चार अन्य कर्मचारियों को भी बनाया शिकार
उपायुक्त डॉ प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि ये ठगी सिर्फ मेरे साथ नहीं हुई नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ कर्मचारी, कुछ आउटसोस के कर्मचारियों के साथ भी हुई है, ठगों ने उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये एपीके फाइल भेजी, और जिसने भी एपीके फाइल के रूप में भेजी गई वीडियो डाउनलोड की उसका मोबाइल हैक हुआ और खातों से रुपय निकल गए। ठगों ने नगर निगम के करीब चार कर्मचारियों को अपना शिकार बनाया है, जिसमें किसी की 5 हजार तो किसी के 2100 रुपये निकाल लिए, इनमें से तो कुछ संविदा कर्मचारी है , कुछ आउट सोर्स कर्मचारी हैं जिनके लिए इतनी राशि भी बहुत होती है।
उठ रहे सवाल google पर कितना भरोसा करें?
इस मामले में उपायुक्त डॉ प्रदीप श्रीवास्तव ने एसपी ऑफिस पहुंचकर साइबर क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई है, पुलिस ने मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है। यहाँ दो बातें गौर करने लायक हैं एक ये कि ठगों ने एपीके फ़ाइल भेजी और उसे डाउनलोड करते ही पैसे निकल गए दूसरी ये कि गूगल ने जो कस्टमर केयर नंबर दिया उसपर बात कर पैसे निकल गए यानि क्या गूगल को नहीं मालूम कि असली नम्बर कौन से है और ठगों के नंबर कौन से है?
सरकारी बैंकों की साइबर सुरक्षा भी सवालों के घेरे में
इसके यहाँ एक बात और गौर करने लायक है वो ये जब प्रदीप श्रीवास्तव के साथ ठग बात कर रहा था और उन्हें प्राइवेट बैंक के कार्ड के जरिये चूना लगाने की कोशिश कर रहा था तो वो उसमें वो सफल नहीं हो पाया लेकिन जैसे ही उसने सरकारी बैंक का कार्ड इस्तेमाल किया डॉ प्रदीप श्रीवास्तव के एकाउंट से 47 हजार रुपये निकाल लिए मतलब साफ है कि प्राइवेट बैंक की साइबर सुरक्षा सरकारी बैंकों से बेहतर है, सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए, फ़िलहाल अब इस मामले में साइबर क्राइम विंग जांच कर रही है।
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