नई सरकार पर मनोज जरांगे का हमला, कहा- एक महीने में पूरी हो मराठाओं की मांग, नहीं तो करेंगे आंदोलन
जरांगे उस मसौदा अधिसूचना को लागू करने की मांग कर रहे हैं जो कुनबियों को मराठा समुदाय के सदस्यों के 'सेज सोयारे' (रक्त रिश्तेदार) के रूप में मान्यता देती है। साथ ही वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि पहले उनके आंदोलन के दौरान मराठा समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लिया जाए।
छत्रपति संभाजीनगर (आरएनआई) महाराष्ट्र में नई सरकार के कार्यभार संभालने के अगले दिन ही मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बड़ा एलान किया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार पांच जनवरी तक मराठा समुदाय की ओबीसी श्रेणी में नौकरी कोटे की मांग को पूरा नहीं करती है तो हम नए सिरे से आंदोलन शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा समुदाय अपनी मांगों पर कायम है। पिछली एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल के दौरान मनोज जरांगे कई बार भूख हड़ताल कर चुके हैं।
मनोज जरांगे ने कहा कि सीएम देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने पांच दिसंबर को शपथ ली। अगर वे अगले एक महीने पांच जनवरी तक मराठा समुदाय की मांगों पर गौर नहीं करते हैं तो हम नया आंदोलन शुरू करने का एलान करेंगे।
नई सरकार के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ भी नहीं बदला है क्योंकि विधानसभा चुनावों के बाद वही राजनीतिक दल सत्ता में वापस आ गए हैं। हमारा कोटा आंदोलन पिछली सरकार के खिलाफ था। शासक वही हैं जो चुनाव से पहले थे। हम अपनी मांगों पर कायम हैं। अब सरकार को उन पर फैसला करना चाहिए।
जरांगे उस मसौदा अधिसूचना को लागू करने की मांग कर रहे हैं जो कुनबियों को मराठा समुदाय के सदस्यों के 'सेज सोयारे' (रक्त रिश्तेदार) के रूप में मान्यता देती है। साथ ही वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं। वह यह भी चाहते हैं कि पहले उनके आंदोलन के दौरान मराठा समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लिया जाए।
महाराष्ट्र विधानमंडल ने फरवरी में विशेष सत्र के दौरान सर्वसम्मति से एक अलग श्रेणी के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए 10 फीसदी आरक्षण मुहैया करने वाला एक विधेयक पारित किया था। हालांकि जरांगे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत समुदाय के लिए आरक्षण की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।
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