न जमीन मांगी, न सुविधाएं, ई-रिक्शा को ही बनाया कुटिया
प्रयागराज में संगम की रेती पर लगे विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ का साक्षी बनने के लिए देशभर से साधु संत पहुंच रहे है। मेले में साधुओं के अलग-अलग रंग के साथ अलग-अलग संकल्प है। दिल्ली से ई-रिक्शा चलाकर महाकुंभ नगर पहुंचे ओह्म तत्सत बाबा ने ई रिक्शा को ही कुटिया बना लिया है।
प्रयागराज (आरएनआई) उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ में शामिल होने के लिए देशभर से साधु संत पहुंच रहे हैं। महाकुंभ में सफभी साधु संतों के रुकने के लिए शिविर बनाए गए हैं। महाकुंभ में पहुंचने वाले साधुओं के अलग-अलग रंग के साथ अलग-अलग संकल्प हैं। महाकुंभ में शामिल होने के लिए दिल्ली से ई-रिक्शा से प्रयागराज पहुंचे हैं।
प्रयागराज में संगम की रेती पर लगे विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ का साक्षी बनने के लिए देशभर से साधु संत पहुंच रहे हैं। मेले में साधुओं के अलग-अलग रंग के साथ अलग-अलग संकल्प है। दिल्ली से ई-रिक्शा चलाकर महाकुंभ नगर पहुंचे ओह्म तत्सत बाबा ने ई रिक्शा को ही कुटिया बना लिया है। जहां वह महाकुंभ में रहकर साधना करेंगे।
कुंभ मेला में आने वाले साधु संतों की जिस तरह से अलग साधना है। उसी तरह उनकी महाकुंभ में दिनचर्या भी अलग है। दिल्ली से ई-रिक्शा चलाकर महाकुंभ में कल्पवास करने आए ओह्म तत्सत बाबा के पास न अखाड़ों के संतों जैसी चमक धमक है और न ही महामंडलेश्वर वाली आभा। ई-रिक्शा ही उनका शिविर है और उनकी कुटिया भी। जिसमें रहकर वह अपनी साधना करते हैं। ई-रिक्शा में ही वह खाना बनाते हैं और इसी में वह धूनी रमाते हैं. बाबा का संकल्प है रामराज्य की स्थापना हो।
ई-रिक्शा वाले बाबा के नाम से जाने जाने वाले संत जिस ई-रिक्शा में रहते हैं उसे न डीजल की जरूरत है न ही पेट्रोल की। ई-रिक्शा के टॉप पर लगे भारी भरकम सोलर प्लेट से उनका ई-रिक्शा चलता है और इसी से कुटिया में रोशनी भी होती है। बाबा का मोबाइल भी इसी से चार्ज होता है। बाबा को कई भक्तों ने डीजल-पेट्रोल की गाड़ी भेंट करने की बात कही लेकिन बाबा ने उसे लेने से इनकार कर दिया और अब वह इस प्रदूषण मुक्त वाहन में चलते हैं। महाकुंभ में केसरिया रंग में रंगी ई-रिक्शा देखकर ही लोग समझ जाते हैं कि ये ई-रिक्शावालेबाबाहैं।
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