धर्मरत्न स्वामी गोपाल शरण देवाचार्य महाराज ने किया "श्रीगोलोक शरणागति" ग्रंथ का लोकार्पण
वृन्दावन। गौशाला नगर स्थित श्रीगोलोक धाम आश्रम में धर्मरत्न स्वामी गोपाल शरण देवाचार्य महाराज के पावन सानिध्य में "श्रीगोलोक शरणागति" ग्रंथ का लोकार्पण संतों -विद्वानों व भक्त-श्रद्धालुओं के मध्य अत्यंत हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ।
धर्मरत्न स्वामी गोपाल शरण देवाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीधाम वृंदावन गौ व गोपाल की पावन धरा है। इसी भूमि पर परमब्रह्म परमेश्वर श्रीहरि ने मनुष्य रूप धारण कर गौ का पालन, सरंक्षण व संवर्धन किया था।श्रीनिंबार्क सम्प्रदाय में गौ व गोपाल की विशेष महत्ता है। इनकी इस महिमा का बखान विस्तार रूप से "श्रीगोलोक शरणागति" ग्रंथ में किया गया है।
ब्रज साहित्य सेवा मंडल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीगोलोक धाम आश्रम के अधिष्ठाता धर्मरत्न गोपाल शरण देवाचार्य महाराज धर्म व अध्यात्म जगत की बहुमूल्य विभूति हैं।इनके द्वारा समूचे विश्व में श्रीकृष्ण भक्ति की लहर को प्रवाहित कर असंख्य व्यक्तियों का कल्याण किया जा रहा है।
श्रीमद्भागवत के प्रकांड विद्वान आचार्य नेत्रपाल शास्त्री महाराज ने कहा कि धर्मरत्न स्वामी गोपाल शरण देवाचार्य महाराज के द्वारा संस्थापित गोलोक धाम (दिल्ली - वृन्दावन) के द्वारा समाज सेवा के जो अनेकों सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं,उनसे तमाम व्यक्ति लाभान्वित हो रहे हैं।
प्रमुख अध्यात्मविद आचार्य राज नारायण बादल (गोवर्धन) ने कहा कि धर्मरत्न स्वामी गोपाल शरण महाराज निंबार्क सम्प्रदाय के प्रमुख संवाहक हैं।इन्होंने समूचे विश्व में श्रीराधा कृष्ण के 108 मंदिर बनाने का संकल्प लिया हुआ है। जो कि 108 मनकों वाली माला जैसा होगा।
इस अवसर पर युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, आचार्य राजनारायण बादल, शिवकुमार रूईया, ललिता बाई रूईया, विवेक रूईया, निधि रूईया, स्वस्तिक रूईया व सात्विक रूईया आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
महोत्सव में संत-ब्रजवासी-वैष्णव सेवा व भंडारा भी हुआ। संयोजक धर्मरत्न स्वामी गोपाल शरण देवाचार्य महाराज ने सभी अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह भेंट कर के स्वागत किया।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।
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