देश की सबसे भीषण सांप्रदायिक हिंसा कब हुई
साल १९४६ में १६ से लेकर १९ अगस्त तक कलकत्ता (कोलकाता) में चार दिनों तक बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। दो समुदायों के बीच इस हिंसा में तकरीबन १० हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और लगभग १५ ,००० से ज्यादा घायल हो गए थे। इस हिंसा को 'ग्रेट कलकत्ता किलिंग' का नाम दिया गया। पाकिस्तान की मांग को लेकर मुस्लिम लीग ने १६ अगस्त को डायरेक्ट एक्शन डे की घोषणा की थी।
इस एक्शन के तहत बंगाल और बिहार राज्य में हिंसा भड़क उठी। वहीं, डायरेक्ट एक्शन प्लान का जवाब देने के लिए हिंदू महासभा ने निग्रह-मोर्चा बनाया था। ७२ घंटे के अंदर ही छह हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा को रोकने के लिए महात्मा गांधी दिल्ली से नोआखली गए थे और उन्होंने अनशन किया था।
साल १९८४ की हिंसा
सिख विरोधी दंगे : इस दंगे की शुरुआत तब हुई जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों ने हत्या कर दी। दोनों अंगरक्षक सिख थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के सिख रिहायशी इलाकों में हिंसा भड़क उठी। कई दिनों तक हिंसा होती रही। इस हिंसक घटना में तीन हजार से ज्यादा सिखों की हत्या कर दी गई।
गुजरात दंगे की मुख्य वजह क्या है?
२००२ गुजरात दंगा : गुजरात के गोधरा शहर में २७ फरवरी के दिन साबरमती एक्सप्रेस के कोच एस-६ को समुदाय विशेष के कुछ लोगों ने आग के हवाले कर दिया था। इस घटना में ५९ कारसेवकों की जलकर मौत हो गई। इस घटना के बाद राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत हो गई। इस हिंसा में तकरीबन २००० से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। वहीं, २,५०० से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
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