देश की खूबसूरत युवती ने छोड़ा ग्लैमर का मोह, शंकराचार्य से दीक्षा लेकर बनी सनातनी
लंदन में पढ़ी-लिखी मिस इंडिया और मिस वर्ल्ड टूरिज्म का खिताब जीत चुकीं राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित फिल्म अभिनेत्री इशिका तनेजा ग्लैमर इंडस्ट्री को अलविदा कह अध्यात्म की राह पर चल पड़ी हैं।
प्रयागराज (आरएनआई) लंदन में पढ़ी-लिखी मिस इंडिया और मिस वर्ल्ड टूरिज्म का खिताब जीत चुकीं राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित फिल्म अभिनेत्री इशिका तनेजा ग्लैमर इंडस्ट्री को अलविदा कह अध्यात्म की राह पर चल पड़ी हैं। इशिका तनेजा अब इशिका श्री लक्ष्मी बनकर सनातन के प्रचार में जुट गई हैं। उन्होंने द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती से गुरु दीक्षा ली है। उनका कहना है कि नेम और फेम के बावजूद उनका जीवन अधूरा सा लग रहा था। जीवन में सुख-शांति नहीं, बल्कि रियल लाइफ को सुंदर बनाना आवश्यक है। हर बेटी को धर्म की रक्षा करने और सनातन के लिए आगे आना चाहिए।
देखिए, हमने कई हिंदी फिल्मों में काम किया। लेकिन, मुझे जीवन में सुकून नहीं मिल रहा था। जो समय चल रहा है, ऐसे में युवक-युवतियों को सनातन के प्रचार में आने की जरूरत है। धर्म की रक्षा के लिए कार्य करने की जरूरत है। धर्म की रक्षा नहीं कर सकते तो सेवा तो कर ही सकते हैं। हमने शंकराचार्य सदानंद सरस्वती से दीक्षा ली। उन्होंने कृष्ण का भजन करने की आज्ञा दी। इसके बाद सनातन के प्रचार में जुट गई हूं।
सवाल : आपके जीवन में कुछ तो ऐसा घटा होगा, जिसकी वजह से फिल्म इंडस्ट्री के जीवन में जो रंग था, उसे छोड़ दिया?
-देखिए मैं साध्वी नहीं बनी हूं। सनातन से यूथ को जोड़ना चाहती हूं। मेरे लिए सनातन रील नहीं, रियल है। हर इन्सान इस तरफ आता है। जो जीवन जी रही थी, उसमें में संतुष्टि नहीं मिल रही थी। अब शांति और आत्मसंतुष्टि के लिए मानव सेवा करूंगी।
सवाल: महाकुंभ के बारे में कितना कुछ जान पाई?
प्रयागराज का यह कुंभ निश्चित ही विशेष है। महाकुंभ अब वैश्विक चर्चा का विषय बन चुका है। ऐसे में सनातन संस्कृति के विश्व संसार में इसकी भूमिका पर चर्चा तो बनती ही है।
सवाल : आपके हिसाब से सनातनी की परिभाषा क्या है?
पूरी दुनिया में सनातन संस्कृति का विस्तार हो रहा है। इसकी चुनौतियों पर कुंभ में मंथन होना चाहिए। वहीं, देश-दुनिया को संदेश देना चाहिए कि सनातन के सूर्य को लाख रोकने का प्रयास करो, पर उसका उदय होकर रहेगा।
सवाल: वेदों का अध्ययन आपने किया?
अभी मेरी शुरुआत है। ओशो, ब्रह्मकुमारी, गीता को पढ़ रही हूं। नई पीढि़यों के लिए गीता का भावानुवाद करने का प्रयास करूंगी।
सवाल : जीवन में शादी करने या भगवा पहनकर महामंडलेश्वर बनने का विचार है?
कहते हैं, कम इच्छाएं रखना और जो आपके पास है, उसी में संतुष्ट रहना जीवन काे सरल बनाता है। बस इसी सरल जीवन की चाह में ग्लैमर की दुनिया में सनातन के प्रचार के लिए धर्म का रास्ता अख्तियार कर चुकी हूं। सनातन ही मेरा प्यार है। मुझे कोई और इच्छा नहीं है। जीवन में अक्सर ऐसा होता है कि जब तक समझ आती है तब तक काफी वक्त बीत चुका होता है। धर्म के क्षेत्र में आगे क्या होगा, समय तय करेगा।
सवाल: फिल्म और धर्म में अंतर क्या है?
छोटे कपड़े पहनने में इज्जत नहीं मिलती। सनातनी कपड़े पहनने में इज्जत मिलती है। भगवा सनातन का प्रतीक है। सनातन धर्म में पढ़े-लिखे हिंदू युवकों का आना जरूरी है। अब हमारा उद्देश्य धर्म और समाज सेवा है।
सवाल : संगम क्या है, महाकुंभ में आकर आपने क्या जाना?
अलौकिक संगम स्थलों को प्रयाग कहा जाता है। इसे तीर्थराज भी कहा गया है। यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का पवित्र संगम है। यह मोक्षदायी है। यहां स्नान, दान, सत्संग, कल्पवास, वेदपाठ की साधना करने से अभिलाषाएं सिद्ध हो जाती हैं।
सवाल: मोनालिसा और हर्षा के बारे में क्या कहेंगी?
मोनालिसा बहुत सुंदर सनातनी है। दु:ख होता है, लोगों ने उसे परेशान कर दिया। सनातन का रस हर किसी को चखना चाहिए। हर्षा वायरल होने के लिए आई थी। उसके लिए साध्वी शब्द गलत है। साध्वी गुरु मंत्र दीक्षा से नहीं बनते, विचार, व्यवहार को देखें।
सवाल : गुरु से आपको क्या दिशा मिली?
शारदा मठ द्वारका के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती से दीक्षा लेने के बाद उन्होंने हमारे जीवन की दिशा बदल दी। मैं आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर हो गई। गुरु महाराज से दीक्षा लेने के बाद विद्या साधना शुरू की, जिसमें हजारों मंत्र और उनके गहरे रहस्य छुपे हैं। इस मार्ग पर चलने से फिल्म इंडस्ट्री छोड़ दी। इसके बाद हजारों युवकों एवं युवतियों को सनातन की राह दिखाने में लगी हूं।
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