'दुर्घटना के मामलों में उचित मुआवजा देने का ध्यान रखें न्यायालय', शीर्ष कोर्ट की टिप्पणी
3 अक्तूबर 2009 को याचिकाकर्ता जब अपने दोस्त के साथ मोटरसाइकिल पर पंचमढ़ी जा रहा था तो एक ट्रक से उसकी दुर्घटना हो गई। ट्रक गलत दिशा में और लापरवाही से चलाया जा रहा था। दुर्घटना में उसे सिर, जबड़े, पैर, घुटने, छाती और पसलियों में चोट समेत कई गंभीर चोटें आईं, जिसके लिए याचिकाकर्ता का तीन बार ऑपरेशन किया गया। एमएसीटी ने उसे 19,43,800 रुपये का मुआवजा दिया था।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायालय को सड़क दुर्घटना के मामलों में पूरा और उचित मुआवजा देने का ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि पूर्ण या सटीक मुआवजा मिलना मुश्किल है, लेकिन यह देखना होगा कि पीड़ित को गलत करने वालों के हाथों नुकसान उठाना पड़ा है। जख्मों के कारण 60 फीसदी स्थायी रूप से विकलांग हो चुके दुर्घटना पीड़ित के मुआवजे में वृद्धि करते हुए जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने कहा कि यह एक सर्वमान्य मानदंड है कि पैसा किसी की जान की भरपाई नहीं कर सकता लेकिन जहां तक पैसे से नुकसान की भरपाई हो सकती है, उचित मुआवजा देने का प्रयास किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा, पूर्ण मुआवजा मिलना मुश्किल है, लेकिन यह ध्यान में रखना होगा कि पीड़ित ने गलत काम करने वाले के हाथों कष्ट झेला है। अदालत को उसे उसके कष्ट के लिए पूरा और उचित मुआवजा देने का ध्यान रखना चाहिए। शीर्ष अदालत ने महसूस किया कि कुछ मामलों में व्यक्तिगत चोट के लिए दावा जीवन भर की कमाई के नुकसान के संबंध में हो सकता है। क्योंकि वह जीवित तो रहेगा लेकिन अपनी आजीविका नहीं कमा सकता। अन्य मामलों में, दावा आंशिक रूप से कमाई के नुकसान के लिए किया जा सकता है।
पीठ ने कहा, प्रत्येक मामले पर उसके अपने तथ्यों के आधार पर विचार किया जाना चाहिए और अंत में यह पूछना चाहिए कि क्या दी गई राशि उचित राशि है। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता अतुल तिवारी को दिए जाने वाले मुआवजे की राशि को बढ़ाकर 48,00,000 रुपये कर दिया। तिवारी ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के दिए मुआवजे की राशि बढ़ाकर 27,21,600 रुपये की गई थी।
इस मामले में पीठ ने पाया कि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की 60 फीसदी विकलांगता पर विचार करने के बाद उसकी काल्पनिक आय का आकलन करने और उसके बाद उसकी आय के नुकसान से संबंधित कानून की स्थापित स्थिति को सही ढंग से अपनाया है। हालांकि पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट एमएसीटी के अन्य मदों के तहत दिए गए मुआवजे की शुद्धता के पहलू पर गहराई से विचार करने में पूरी तरह विफल रहा।
3 अक्तूबर 2009 को याचिकाकर्ता जब अपने दोस्त के साथ मोटरसाइकिल पर पंचमढ़ी जा रहा था तो एक ट्रक से उसकी दुर्घटना हो गई। ट्रक गलत दिशा में और लापरवाही से चलाया जा रहा था। दुर्घटना में उसे सिर, जबड़े, पैर, घुटने, छाती और पसलियों में चोट समेत कई गंभीर चोटें आईं, जिसके लिए याचिकाकर्ता का तीन बार ऑपरेशन किया गया। एमएसीटी ने उसे 19,43,800 रुपये का मुआवजा दिया था।
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