दुनियाभर में 60 फीसदी लोगों के पास साफ पानी नहीं; बढ़ीं बीमारियां
दुनियाभर में 60 फीसदी लोगों के पास साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण बीमारियां बढ़ गई हैं और लोगों की सेहत पर असर पड़ रहा है। बोतल बंद पानी पीने के कारण ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है।
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नई दिल्ली (आरएनआई) दुनियाभर के करीब 60 फीसदी लोग इस बात से परेशान हैं कि उन्हें स्वच्छ पेयजल नहीं मिल पा रहा है। इससे उनकी सेहत पर असर पड़ रहा है और उन्हें बीमारियां घेर रही हैं। इस संबंध में कराए गए एक सर्वेक्षण में शामिल लोगों से यह जानने की कोशिश की गई कि वे अपने पेयजल को कितना स्वच्छ और सुरक्षित मानते हैं।
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी और चैपल हिल में यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अध्ययन में कहा गया है कि जब लोग अपने नल के पानी पर भरोसा नहीं करते तब वे बोतल बंद पानी खरीदते हैं। बोतलबंद पानी बहुत महंगा होने के साथ पर्यावरण के लिए हानिकारक भी होता है, क्योंकि इसकी बोतलें प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने का काम करती हैं। इस अध्ययन के नतीजे नेचर कम्युनिकेशंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
यह सर्वेक्षण रिपोर्ट साल 2019 में लॉयड्स रजिस्टर फाउंडेशन वर्ल्ड रिस्क पोल से 141 देशों के 1,48,585 वयस्कों के आंकड़ों का उपयोग करके तैयार की गई है। अधयनकर्ताओं ने पानी की आपूर्ति और इसके नुकसान संबंधी वजहों में बहुत अंतर पाया। यह अंतर जाम्बिया में सबसे अधिक, सिंगापुर में सबसे कम और जिनका कुल औसत 52.3 फीसदी तक था।
दुनियाभर में पानी की बोतलों में हर साल लगभग 2.7 मिलियन टन प्लास्टिक का उपयोग होता है। बोतल बंद पानी को बाजार तक पहुंचाने से वायु प्रदूषण और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है। इसके अलावा लोग सोडा या अन्य चीनी वाले मीठे पेय पदार्थ पीते हैं जो दांतों और शरीर के लिए हानिकारक होते हैं।
सर्वेक्षण में शामिल करीब एक लाख से अधिक लोगों ने आशंका जताई कि उनको स्थानीय संसाधनों से जो जल उपलब्ध कराया जा रहा है वह स्वच्छ और सुरक्षित नहीं है। सर्वेक्षण में शामिल 60 फीसदी से अधिक लोगों ने बताया कि उनकी सेहत पेयजल की वजह से खराब हुई है। इस संबंध में उन्होंने मेडिकल दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। जिन लोगों को पेयजल की वजह से सेहत संबंधी परेशानी हुई उनमें 72 फीसदी बच्चे और बुजुर्ग शामिल थे। दूषित पेयजल की वजह से लगभग 68 फीसदी महिलाओं की सेहत पर विपरीत असर पड़ा।
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