‘दिव्यांग बच्चों के लिए माताओं को अवकाश से इनकार सांविधानिक कर्तव्य का उल्लंघन’ : सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा कि महिलाओं को बाल देखभाल अवकाश का प्रावधान एक महत्वपूर्ण सांविधानिक उद्देश्य को पूरा करता है और दिव्यांग बच्चों की माताओं को इससे वंचित करना कार्यबल में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के सांविधानिक कर्तव्य का उल्लंघन होगा।

Apr 23, 2024 - 05:43
 0  459
‘दिव्यांग बच्चों के लिए माताओं को अवकाश से इनकार सांविधानिक कर्तव्य का उल्लंघन’ : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिव्यांग बच्चे की देखभाल करने वाली कामकाजी मां को बाल देखभाल अवकाश देने से इन्कार करना कार्यबल में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के सांविधानिक कर्तव्य का उल्लंघन है। सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि यह सिर्फ विशेषाधिकार का मामला नहीं है बल्कि सांविधानिक कर्तव्य का मामला है।

पीठ ने कहा कि महिलाओं को बाल देखभाल अवकाश का प्रावधान एक महत्वपूर्ण सांविधानिक उद्देश्य को पूरा करता है और दिव्यांग बच्चों की माताओं को इससे वंचित करना कार्यबल में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के सांविधानिक कर्तव्य का उल्लंघन होगा। हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ में एक कॉलेज में कार्यरत एक सहायक प्रोफेसर शालिनी धर्माणी ने हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें केंद्रीय सिविल सेवा नियम के तहत बाल देखभाल अवकाश की मांग वाली याचिका खारिज कर दी गई थी। बच्चा जन्म से ही आनुवांशिक विकारों से पीड़ित है।

पीठ ने हिमाचल सरकार को विशेष दिव्यांग बच्चों का पालन-पोषण करने वाली माताओं के लिए छुट्टियों के नियमों पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। साथ ही मामले के सभी पहलुओं को देखने के लिए राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का भी निर्देश दिया। अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाया और उससे जवाब मांगा। साथ ही कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से मामले में मदद करने को कहा है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि समिति की रिपोर्ट जुलाई तक तैयार की जानी चाहिए और मामले को अगस्त के लिए रख दिया। इतना ही नहीं पीठ ने हिमाचल प्रदेश सरकार के वकील से पूछा कि क्या वे बच्चे की देखभाल के लिए कोई छुट्टी देते हैं या बच्चे के बीमार पड़ने की स्थिति में महिला कर्मचारी को इस्तीफा देना पड़ता है। वकील ने मामले में निर्देश लेने के लिए समय मांगा। महिला को दिव्यांग बेटे की देखभाल के लिए छुट्टी देने से इसलिए इन्कार कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने अपनी सभी स्वीकृत छुट्टियां खत्म कर ली थीं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपेक्षित नियम बनाने में कुछ राज्यों की नाकामी पर नाराजगी जताते हुए सोमवार को कहा कि दिव्यांगों के अधिकार अधिनियम 2016 का कार्यान्वयन अभी भी ‘निराशाजनक स्तर’ पर है। सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ अधिनियम को लागू करने के लिए जिला स्तरीय समितियों के गठन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने कहा कि चूक के बावजूद, अधिनियम का कार्यान्वयन अभी भी निराशाजनक स्थिति में है। कई राज्यों ने इस अधिनियम के तहत नियम तक नहीं बनाए हैं। पीठ ने कहा कि कई राज्यों ने अधिनियम के तहत अनिवार्य आयुक्तों की नियुक्ति भी नहीं की है। हमारा मानना है कि अधिनियम के कार्यान्वयन की स्थिति अभी तय करने की जरूरत है। इसी के साथ पीठ ने मामले की सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते के लिए स्थगित कर दी।

Follow the RNI News channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2X

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

RNI News Reportage News International (RNI) is India's growing news website which is an digital platform to news, ideas and content based article. Destination where you can catch latest happenings from all over the globe Enhancing the strength of journalism independent and unbiased.