‘दिव्यांग जन अधिनियम लागू करने में सरकार नाकाम, बैकलॉग रिक्तियां भरने का आदेश’; शीर्ष कोर्ट ने लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा है कि सरकार, दिव्यांगता अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने में नाकाम रही है। अदालत ने तीन महीने के भीतर सभी दिव्यांग अभ्यर्थियों की नियुक्ति का आदेश दिया है। 

Jul 9, 2024 - 16:40
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‘दिव्यांग जन अधिनियम लागू करने में सरकार नाकाम, बैकलॉग रिक्तियां भरने का आदेश’; शीर्ष कोर्ट ने लगाई फटकार

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2009 में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले दिव्यांग अभ्यर्थियों की 100 प्रतिशत नियुक्ति के आदेश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि तीन महीने के भीतर सभी दिव्यांग अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा है कि केंद्र सरकार, दिव्यांगता अधिनियम के तहत प्रावधानों को लागू करने में नाकाम रही है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और पंकज मित्तल की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार ने दिव्यांगजन अधिनियम 1995 के प्रावधानों को लागू करने में भूल की है। अदालत ने कहा, ‘याचिकाकर्ता ने याचिका से स्पष्ट है कि दिव्यांग जनों के लिए बनाए गए कानून की अवहेलना की गई है।

इस मामले में पंकज कुमार श्रीवास्तव ने अदालत में याचिका दायर की है। पंकज श्रीवास्तव ने वर्ष 2008 में सिविल सेवा परीक्षा दी थी। इस दौरान उन्होंने चार प्रमुख सेवाओं को अपने वरीयता क्रम में रखा था। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय राजस्व सेवा- आयकर (आईआरएस-आईटी), भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा (आईआरपीएस) और भारतीय राजस्व सेवा-सीमा शुल्क एवं उत्पाद शुल्क (आईआरएस-सीएंडई) को अपने वरीयता क्रम में रखा था। परीक्षा और साक्षात्कार में सफल रहने के बाद भी पंकज श्रीवास्तव को नियुक्ति नहीं मिली। 

इसके बाद पंकज श्रीवास्तव ने 2010 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का रुख किया। इसके बाद न्यायाधिकरण ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को निर्देश दिए थे कि छह महीने के भीतर दिव्यांग जन अधिनियम के तहत रिक्त पदों की जानकारी दें। इसके जवाब में यूपीएससी ने कहा था कि पंकज का नाम दृष्टिबाधित श्रेणी के लिए उपलब्ध रिक्तियों की संख्या की मेरिट सूची में शामिल नहीं है। इसके बाद केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सीएटी) ने एक आदेश पारित किया था। आदेश में कहा गया था कि उत्तीर्ण हुए दृष्टिबाधित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाए। इसके बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में सीएटी के फैसले को चुनौती दी तो अदालत ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। अब शीर्ष अदालत ने कहा है कि पंरज के अलावा दृष्टिबाधित श्रेणी के चयनित 10 अभ्यर्थियों को तीन महीने के भीतर नियुक्ति दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर एक याचिका पर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। याचिका में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में रिक्त पदों को भरने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पादरीवाला की पीठ ने केंद्र सरकार से इस बारे मे सवाल किया है। अदालत ने पूछा है कि एनएचआरसी में रिक्त पदों को भरने के लिए क्या क्या कदम उठाए गए। इसके अलावा यह भी पूछा गया है कि इन रिक्त पदों को भरने के लिए कितना समय लगेगा। अब शीर्ष अदालत में 29 जुलाई को इस मामले की अगली सुनवाई होगी। 

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