दिवाली पर कैसे करें मां काली की पूजा
नई दिल्ली (आरएनआई) दिवाली पर काली पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है। जहां दिवाली पर देश के हर राज्य में मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा होती है तो वहीं बंगाल में इस दिन काली पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या की आधी रात में मां काली की पूजा करने से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं। चलिए आपको बताते हैं काली पूजा की विधि, मुहूर्त, मंत्र सबकुछ।
इस साल काली पूजा 31 अक्तूबर 2024 को मनाई जाएगी। काली पूजा का शुभ मुहूर्त 11:39 PM से 12:31 AM तक रहेगा। ये निशिता काल समय है। माता काली की पूजा के लिए यही मुहूर्त शुभ माना जाता है।
काली पूजा सामग्री
मां काली की प्रतिमा, अगरबत्ती, बताशा, हलवा, पूड़ी, मीठा पान, अक्षत, सुपारी, लौंग, नारियल आदि, माता काली की तस्वीर, गुड़हल का फूल, धूप, दीप आदि।
दिवाली काली पूजा विधि
मां काली की पूजा के लिए सुबह स्नान कर तैयार हो जाएं।
माता काली की मूर्ति को एक चौकी पर लाल या काले कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।
फिर मां काली का आह्वान करें।
माता काली की मूर्ति पर जल, दूध और फूल अर्पित करें।
फिर माता को सिंदूर, हल्दी, कुमकुम और काजल चढ़ाएं।
माता को फूल माला पहनाएं।
उनके समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं और कपूर से उनकी आरती करें।
माता की प्रतिमा के आगे धूप या अगरबत्ती जलाएं।
फिर मिठाई, फल और नैवेद्य मां को अर्पित करें।
पूजा के समय ॐ क्रीं काली या क्रीं काली का जाप करें।
फिर मां काली की कपूर से आरती करें। पूजा क बाद प्रसाद सभी में बांट दें।
मां काली मंत्र
ॐ क्रीं काली
ॐ क्रीं कालिकायै नमः
ॐ श्री महा कलिकायै नमः
दिवाली काली पूजा सरल विधि
माता काली की पूजा में विशेष रूप से 108 गुड़हल के फूल, 108 बेलपत्र और माला, 108 मिट्टी के दीपक और 108 दुर्वा चढ़ाए जाने की परंपरा है। इसके अलावा इस दिन मौसमी फल, खीर, तली हुई सब्जी, मिठाई, खिचड़ी और अन्य व्यंजनों का भी भोग चढ़ाया जाता है। इस दिन भक्तजन सुबह से रात तक उपवास रखते हैं और रात्रि में विधि विधान पूजा करके अपना व्रत खोलते हैं।
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