दिल्लीवालों को मिला नए साल का तोहफा: सरकार ने बिजली सरचार्ज में कटौती की, सभी उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत
सरकार ने बिजली बिलों पर लगे सरचार्ज को 65 से 40 फीसदी तक कम करने का फैसला लिया। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि सरकार ने हमेशा उपभोक्ताओं को अधिकतर बिजली दरों में बढ़ोतरी से बचाने को प्राथमिकता दी है।
नई दिल्ली (आरएनआई) दिल्ली के उपभोक्ताओं का नए साल में बिजली बिल कुछ कम आयेगा। दिल्ली सरकार ने नए साल का तोहफा देते हुए बिजली बिलों पर लगे सरचार्ज को 65 से 40 फीसदी तक कम करने का फैसला लिया। दिल्ली में पावर पर्चेज एडजस्टमेंट चार्ज (पीपीएसी) की दरें जो पहले बीआरपीएल के लिए 35.83 फीसदी, बीवाईपीएल के लिए 38.12 फीसदी और टीपीडीडीएल के लिए 36.33 फीसदी थीं। उन्हें घटा कर क्रमशः 18.19 फीसदी, 13.63 फीसदी और 20.52 फीसदी कर दिया। इसका सीधा फायदा बिजली बिलों में दिखेगा।
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि सरकार ने हमेशा उपभोक्ताओं को अधिकतर बिजली दरों में बढ़ोतरी से बचाने को प्राथमिकता दी है, ताकि बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम्स) दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के निर्धारित नियमों का पालन करें। उन्होंने आरोप लगाया कि पड़ोसी शहर नोएडा और गुरुग्राम में न केवल बिजली की दरें अधिक हैं, बल्कि गर्मी के मौसम में बार-बार बिजली कटौती भी होती है। वहीं दिल्ली में लोग 24 घंटे बिजली की आपूर्ति का आनंद लेते हैं और हमारी नीतियों के कारण कई मामलों में उनकी बिजली बिल भी शून्य होते हैं।
पीपीएसी (पावर पर्चेज एडजस्टमेंट चार्ज) एक अतिरिक्त शुल्क है जो बिजली बिलों में जोड़ा जाता है, ताकि बिजली खरीदने की लागत में आए बदलाव को कवर किया जा सके। यह बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) को उन अतिरिक्त खर्चों को वसूलने में मदद करता है जो अचानक होने वाली घटनाओं जैसे ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव, ट्रांसमिशन चार्जेस, या मौसम और बाजार की परिस्थितियों के कारण होते हैं।
बीआरपीएल: 35.83 फीसद
बीवाईपीएल: 38.12 फीसद
टीपीडीडीएल: 36.33 फीसद
बीआरपीएल: 18.19 फीसद
बीवाईपीएल: 13.63 फीसद
टीपीडीडीएल: 20.52 फीसद
दिल्ली सरकार का दावा है कि इस साल भीषण गर्मी पड़ने के कारण दिल्ली में बिजली की मांग में काफी वृद्धि देखी गई। 24 घंटे बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, डिस्कॉम ने प्रचलित बाजार दरों पर बिजली खरीदी, जिससे पीपीएसी में वृद्धि हुई।
इसके अतिरिक्त, अक्टूबर 2023 में केंद्र सरकार ने सभी थर्मल पावर प्लांट्स को घरेलू कोयले के साथ आयातित कोयले का मिश्रण जारी रखने का निर्देश दिया ताकि कोयले की आपूर्ति में कमी और बिजली की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। 15 अक्टूबर 2024 के बाद, आयातित कोयले के मिश्रण की आवश्यकता को पूरी तरह से हटा दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन लागत में काफी कमी आई और उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल कम हो गए।
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