दिल्ली एम्स में इलाज कराना है तो जल्दबाजी में न रहें, ओपीडी रजिस्ट्रेशन के लिए एक दिन पहले लगती है लाइन
दिल्ली एम्स में इलाज करा पाना आसान टास्क नहीं है। ओपीडी पंजीकरण के लिए 20-22 घंटे पहले पहुंचकर सड़क पर समय बिताना पड़ सकता है। रोजाना 13500 मरीजों का ओपीडी पंजीकरण होता है। एम्स में सभी विभागों ने ओपीडी में इलाज के लिए प्रतिदिन का स्लॉट निर्धारित कर दिए हैं। इसलिए लाइन लगने के बावजूद ओपीडी पंजीकरण हो पाएगा यह तय नहीं है।
नई दिल्ली (आरएनआई) एम्स में यदि इलाज कराना है तो जल्दबाजी में न रहें, बल्कि धैर्य के साथ जाएं। साथ ही अपने साथ बिस्तर का इंतजाम भी रखें। क्योंकि ओपीडी पंजीकरण के लिए 20-22 घंटे पहले पहुंचकर सड़क पर समय बिताना पड़ सकता है। यह कोई कल्पना नहीं है।
यदि बीमार चिकित्सा व्यवस्था का दृश्य देखना है, तो एम्स चले जाएं। जहां अस्पताल की ओपीडी खत्म नहीं होती कि अगले दिन की ओपीडी के लिए एक दिन पहले ही इन दिनों रिंग रोड के सर्विस लेन में मरीजों की लाइन लग जाती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम मरीज कितनी मुश्किल परिस्थितियों का सामना करके इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं।
अब सुबह करीब 11 बजे से ही एम्स के गेट नंबर छह के पास रिंग रोड के सर्विस लेन में बगैर अपॉइंटमेंट वाले मरीज या उनके स्वजन लाइन में लगने लगते हैं। देर रात यह लाइन एम्स के गेट नंबर दो तक (करीब आधा किलोमीटर) पहुंच जाती है। कई बार मरीज लाइन में आगे लगने के लिए झगड़ पड़ते हैं।
दिन व रात में 20-22 घंटे के इंतजार के बाद भी ओपीडी पंजीकरण हो पाएगा या नहीं इस बात की गारंटी नहीं होती। इसका कारण यह है कि एम्स में सभी विभागों ने ओपीडी में इलाज के लिए प्रतिदिन का स्लॉट निर्धारित कर दिए हैं। झारखंड के हजारीबाग के रहने वाले सत्यम नामक युवक सर्विस लेन में लाइन में बैठकर पढ़ाई करते दिखे।
उन्होंने बताया कि वह ओल्ड राजेंद्र नगर में रहकर ही यूपीएससी की तैयारी करते हैं। मां की तबीयत खराब है। पहले गायनी विभाग में दिखाया था। इसके बाद मेडिसिन में और वहां से मनोचिकित्सा विभाग में स्थानांतरित किया गया। हर विभाग के लिए अलग-अलग ओपीडी पंजीकरण कराना पड़ता है। सोमवार की रात करीब साढ़े नौ बजे आकर लाइन में लगे।
सुबह में ओपीडी पंजीकरण के लिए 35-40 मरीजों को टोकन मिला। पूरी रात जगने के बाद भी उनकी बारी आई तो पंजीकरण बंद हो गया। ऑनलाइन भी अपॉइंटमेंट नहीं मिल पा रहा है। नोएडा की संगीता तिवारी ने बताया कि उन्हें गायनी से संबंधित बीमारी है। फॉलोअप के लिए वह दो दिन लगातार सुबह साढ़े पांच बजे पहुंची।
दोनों दिन ओपीडी पंजीकरण नहीं हो पाया। पता चला कि तत्काल में ओपीडी पंजीकरण के लिए एक दिन पहले से लाइन लगती है। बिहार के बेतिया से पहुंचे नवेद आलम ने बताया कि छोटे भाई के मुंह से ब्लड आता है। बिहार से डॉक्टर ने एम्स में रेफर किया है। मंगलवार को ओपीडी कार्ड नहीं बन पाया। इसके बाद लाइन में लगे हैं। इस मामले पर एम्स के मीडिया डिविजन से पक्ष मांगा पर कोई जवाब नहीं मिला।
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