दांडी यात्रा की 95वीं वर्षगांठ: पीएम मोदी समेत इन नेताओं ने दी श्रद्धांजलि, महात्मा गांधी के बलिदान को किया याद
ब्रिटिश सरकार के द्वारा भारतीयों पर नमक कर लागने के विरोध में महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा निकाला था। आज इस सत्याग्रह की 95 वर्षगांठ है। इस अवसर पर पीएम मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और हेमंत बिस्वा सरमा समेत कई नेताओं ने इस यात्रा के प्रतिभागियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही गांधी जी के साहस और बलिदान को याद किया।

नई दिल्ली (आरएनआई) आज देशभर में एतिहासिक दांडी यात्रा की 95वीं वर्षगांठ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने महात्मा गांधी के साथ-साथ इस यात्रा के प्रतिभागियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि दांडी यात्रा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था और महात्मा गांधी के नेतृत्व में इसने देशभर में आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता के लिए एक बड़ा आंदोलन शुरू किया। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि दांडी यात्रा में शामिल सभी लोगों का साहस, बलिदान और सत्य और अहिंसा के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता हमेशा लोगों को प्रेरित करती रहेगी।
दांडी यात्रा के 95वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी महात्मा गांधी और सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि आज से 95 साल पहले महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा शुरू किया और ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला दी। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्ण स्वराज के प्रण को पूरा करने के लिए नमक सत्याग्रह से सविनय अवज्ञा का देशव्यापी आंदोलन एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। बापू के सिद्धांतों को कांग्रेस पार्टी आज भी जी रही है। बापू की सीख और सत्याग्रह आज भी उतने प्रासंगिक हैं जिसने 1930 में थे। खरगे ने कहा कि पदयात्रा कर जन-अधिकारों को सुरक्षित रखना कांग्रेस का ध्येय रहा है और रहेगा।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी दांडी यात्रा की 93वीं वर्षगांठ पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि 1930 में आज के दिन महात्मा गांधी ने अंग्रेजों द्वारा लगाए गए नमक कर के खिलाफ विरोध करने के लिए दांडी यात्रा की शुरुआत की थी। यह एक साहसिक कदम था, जिसने हजारों लोगों को प्रेरित किया। यह कदम हमेशा अत्याचारियों के खिलाफ सबसे मजबूत विरोध के रूप में याद किया जाएगा।
साथ ही केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने भी दांडी यात्रा का सम्मान किया और इसे ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि इस दिन हम महात्मा गांधी के निडर रुख का सम्मान करते हैं, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ था और जिसने भारत की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की लड़ाई को मजबूत किया।
नमक सत्याग्रह के नाम से जाना जाने वाला दांडी यात्रा को महात्मा गांधी द्वारा 12 मार्च 1930 को शुरू किया गया था। यह यात्रा साबरमती आश्रम, अहमदाबाद से शुरू होकर गुजरात के दांडी गांव तक गया। इसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कर का विरोध करना था, जो भारत के किसानों के लिए अत्याचार था। गांधीजी का मानना था कि नमक जैसे सामान्य और आवश्यक वस्तु पर कर लगाना भारतीयों की स्वतंत्रता पर हमला था।
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