दलित शिक्षक के साथ भेदभाव मामले में IIM निदेशक की बढ़ी मुश्किलें, सात प्रोफेसरों के खिलाफ केस दर्ज
एसोसिएट प्रोफेसर गोपाल दास की शिकायत पर आईआईएमबी के निदेशक और अन्य सात संकाय सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इन लोगों पर जातिगत भेदभाव करने का आरोप लगा है।
बेंगलुरु (आरएनआई) देश के प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान आईआईएम (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट) बेंगलुरु में जातिगत भेदभाव का मामला सामने आया है। संस्थान के एक दलित शिक्षक की शिकायत के बाद पुलिस ने निदेशक और सात प्रोफेसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
इस मामले में एसोसिएट प्रोफेसर गोपाल दास की शिकायत पर शुक्रवार को आईआईएमबी के निदेशक और अन्य संकाय सदस्यों के खिलाफ अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों (अत्याचार निवारण) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमें शिकायत मिली, जिसके आधार पर केस दर्ज किया गया है। मगर, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उन्होंने उसी शाम अदालत से स्टे आदेश लेने का दावा किया। हालांकि, हमें अभी तक ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है।'
राज्य सरकार के डायरेक्टरेट ऑफ सिविल राइट्स एनफोर्समेंट (डीसीआरई) ने इस मामले की जांच की। इसी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने प्रोफेसर की शिकायत पर कानूनी कार्रवाई शुरू की।
इस साल की शुरुआत में आईआईएम बंगलूरू के मार्केटिंग के एसोसिएट प्रोफेसर गोपाल दास ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर संस्थान में उनके प्रति हो रहे भेदभावपूर्ण व्यवहार के बारे में बताया था। इस पत्र में संस्थान द्वारा उनकी जाति सार्वजनिक करने और उन्हें पदोन्नति देने से इनकार करने की शिकायत भी की गई थी, जिसके बाद राज्य सरकार के डायरेक्टरेट ऑफ सिविल राइट्स एनफोर्समेंट (डीसीआरई) ने इस मामले की जांच की।
दास ने आरोप लगाया था कि आठ व्यक्तियों ने जानबूझकर उनके जाति को कार्यस्थल पर उजागर किया। साथ ही उन्हें वैकल्पिक पाठ्यक्रम और पीएचडी कार्यक्रमों से हटने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने आरोप लगाया था कि संस्थान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों की शिकायत निवारण के लिए परिसर में कोई व्यवस्था नहीं है।
डीसीआरई अपनी जांच में इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि दास को लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ा क्योंकि संस्थान ने सामूहिक ईमेल में उनकी जाति का खुलासा किया था। नौ दिसंबर, 2024 को राज्य पुलिस विभाग को लिखे एक पत्र में, समाज कल्याण विभाग के आयुक्त राकेश कुमार कृष्ण मूर्ति ने इस मामले में निदेशक, डीन और चार अन्य संकाय सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया था।
पत्र में कहा गया है कि जांच में आईआईएम बंगलूरू के निदेशक डॉ. ऋषिकेश टी. कृष्णन द्वारा बड़े पैमाने पर ईमेल के माध्यम से याचिकाकर्ता की जाति को जानबूझकर प्रचारित करने और उजागर करने की पुष्टि हुई है। मालूम हो कि गोपाल दास सामान्य श्रेणी में योग्यता के माध्यम से अप्रैल 2018 में आईआईएम बंगलूरू में शामिल हुए थे।
इस मामले में आईआईएम बंगलूरू का कहना है, ‘उत्पीड़न या भेदभाव के बजाय, दास को 2018 में नियुक्ति के बाद से संस्थान से हर प्रकार का समर्थन प्राप्त हुआ। उनके शोध और शिक्षण के लिए महत्वपूर्ण प्रोत्साहन मिले हैं, इसके अतिरिक्त उन्हें संस्थान में जिम्मेदारियों की भी पेशकश की गई थी।'
आईआईएम ने यह भी कहा कि दास के भेदभाव के आरोप… तभी सामने आए जब कुछ डॉक्टरेट छात्रों द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराई गई उत्पीड़न की शिकायतों के कारण पदोन्नति के लिए उनके आवेदन को रोक दिया गया था।
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