दयालबाग में हुई इस वारदात से दहल गया था आगरा का दिल
आगरा के दयालबाग के एक शिक्षण संस्थान की लैब में 15 मार्च 2013 को शोध छात्रा की गला काटकर हत्या कर दी गई थी।हत्याकांड को 11 साल बीतने के बाद भी पीड़ित परिवार को न्याय का इंतजार है।
आगरा (आरएनआई) आगरा में 15 मार्च 2013 की तारीख कभी नहीं भूल सकते हैं। शोध कर रही बेटी को बेरहमी से मार दिया गया। उसने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा था। वह तो चली गई। अब बस एक ही मकसद है, उसे न्याय दिला पाएं। 11 साल हो गए हैं। जो जख्म लगे हैं, उन पर न्याय से ही मरहम लगेगा। इसी आस के साथ जी रहे हैं। यह दर्द एक पिता का है। उनकी बेटी की दयालबाग स्थित शिक्षण संस्थान में पेपर कटर काटकर मार दिया गया था। केस में 50 से अधिक की गवाही पूरी हो चुकी है। सुनवाई के लिए 19 मार्च की अगली तारीख लगी है।
15 मार्च 2013 को शिक्षण संस्थान की नैनो बायो टेक्नालॉजी लैब में शोध छात्रा की हत्या कर दी गई थी। घटना के बाद लोग आक्रोशित हो गए थे। छात्र-छात्राओं ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया था। घटना में पुलिस ने कड़ी विवेचना की थी। इसके बाद दो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इनमें एक आरोपी उदय स्वरूप था। बाद में मामला सीबीआई को ट्रांसफर किया गया। सीबीआई ने चार्जशीट लगाई थी। केस में डीएनए रिपोर्ट के आधार पर दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी। इस पर आरोपी उदय स्वरूप को जमानत के बाद मई 2016 में दोबारा जेल भेजा गया था। तभी से जेल में बंद है।
बेटी शिक्षण संस्थान में शोध कर रही थी। उसकी पढ़ाई पूरी होने वाली थी। इससे पहले ही उसकी हत्या कर दी गई। पिता ने बताया कि बेटी को न्याय दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। इस लड़ाई ने हमारी तीन पीढ़ियों को बर्बाद कर दिया।
बेटी को उसके दादा-दादी याद करते हैं। भाई-बहन भी रोते हैं। कहते हैं कि किसी ने क्या बिगाड़ा था, जो उसे मार दिया। इस लंबी लड़ाई में कितना ही संघर्ष क्यों न करना पड़े, वो करते रहेंगे। जो खोया है, उसकी भरपाई नहीं हो सकती है। दुख कोई कम नहीं कर सकता है। परंतु ऐसे अपराध करने वालों को अगर सजा मिलती है तो जख्मों पर मरहम जरूर लगेगा। अभी तक अनगिनत गवाही हो चुकी हैं। इस आशा के साथ जी रहे हैं कि न्याय जरूर मिलेगा।
दयालबाग स्थित जिस शिक्षण संस्थान में हत्या हुई, उसे बहुत ही अनुशासित माना जाता है। हत्या की घटना का पता चलने पर छात्राओं ने न्याय के लिए आवाज उठाई थी। घटना की गूंज प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में सुनाई दी थी। हत्या में पेपर कटर का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस की विवेचना में दुष्कर्म की बात सामने नहीं आई थी। मगर, सीबीआई की विवेचना के बाद दुष्कर्म की धारा की वृद्धि हुई थी।
15 मार्च 2013 : दयालबाग स्थित शिक्षण संस्थान में शोध छात्रा की हत्या।
17 मार्च 2013 : पुलिस ने संस्थान की लैब के पास से लैपटॉप बरामद किा।
18 मार्च 2013 : छात्रा का मोबाइल भी संस्थान परिसर में मिला।
22 अप्रैल 2013 : हत्याकांड में उदयस्वरूप और यशवीर संधू जेल भेजे गए।
18 जुलाई 2013: पुलिस ने विवेचना पूरी की। आरोप पत्र को कोर्ट में पेश किया।
22 जुलाई 2013: प्रदेश सरकार ने केस सीबीआई को स्थानांतरित किया।
10 फरवरी 2014 : उदयस्वरूप और यशवीर संधू को हाईकोर्ट से जमानत मिली।
5 जनवरी 2016 : सीबीआई ने कोर्ट में आरोप पत्र प्रस्तुत किया। दुष्कर्म के प्रयास की धारा को हटाया गया।
पिता ने बताया कि एडीजे प्रथम की कोर्ट में केस चल रहा है। 11 मार्च को अभियुक्त के धारा 313 के तहत बयान दर्ज हुए थे। अब केस में 19 मार्च की तारीख लगी है। 50 लोगों की गवाही हो चुकी है। सबसे ज्यादा बहस प्रारंभिक विवेचक बीएस त्यागी की गवाही में हुई।
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