दमोह के बाजार में आई गन्नों की बहार, तुलसी और शालिग्राम का होगा विवाह
दमोह जिले की बाजार में गन्नों की बहार आ गई है। क्योंकि ग्यारस का त्योहार आ गया है। ऐसे में माता तुलसी और शालिग्राम का विवाह भी होगा।
दमोह, (आरएनआई) दीपावली त्योहार के 11वें दिन गुरुवार को एकादशी का पर्व दमोह सहित बुंदेलखंड अंचल में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन भगवान चार महीने के शयन के बाद निद्रा से जागते हैं और शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। इसी दिन माता तुलसी और शालिग्राम का विवाह भी मंदिरों के साथ घरों में धूमधाम से संपन्न होता है।
एकादशी ग्यारस पर्व को लेकर बाजार में गन्नों की बिक्री हो रही है और लोग अपने घर पर मंडप बनाने के लिए गन्ने खरीद कर ले जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर मुर्गों का बाजार भी लगा हुआ है, जहां कुचबंदिया समाज व अन्य कुछ समाज के लोग इन्हें खरीदने पहुंच रहे हैं। इनका पूजन एकादशी को किया जाएगा। साल में केवल एक बार ही यह मुर्गे एकादशी के दिन इस तरह से बड़ी संख्या में बिकते हैं।
गुरुवार को एकादशी है, जिसे बुंदेलखंड में ग्यारस पर्व भी कहा जाता है। यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें गन्नों की मुख्य रूप से पूजा की जाती है। क्योंकि इन्हीं गन्नों का मंडप घर पर बनाया जाता है और उसके नीचे माता तुलसी को विराजमान करने के बाद उनका विवाह भगवान शालिग्राम से संपन्न कराया जाता है।
शहर के बंदा बहू मंदिर में यह तुलसी विवाह जहां धूमधाम से संपन्न होगा तो वहीं घरों में भी गन्ने के मंडप के नीचे तुलसी विवाह आयोजित किया जाएगा। दीपावली की तरह ही मिट्टी के दिए भरे जाएंगे और उसके बाद आतिशबाजी चलाई जाएगी। तहसील ग्राउंड में गन्नों का मुख्य बाजार लगाया गया है, जहां पूरे शहर के लोग गन्ने खरीदने पहुंच रहे हैं।
कुचबंदिया समाज व कुछ अन्य समाज के लोग ग्यारस पर्व पर मुर्गों की खरीदी करते हैं, जिसके लिए घंटाघर क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में मुर्गे विक्रय के लिए रखे हुए हैं। इन मुर्गों का विक्रय करने वाले शंकर कबाड़ी ने बताया कि जिस प्रकार से ग्यारस पर गन्नों की पूजा होती है, उसी प्रकार कुचबंदिया व कुछ अन्य समाज के लोग मुर्गे खरीद कर ले जाते हैं। जो घरों में पूजन करने के बाद या तो इन्हें दान कर देते हैं या फिर कहीं भी इन्हें छोड़ देते हैं। घंटाघर से लेकर अस्पताल चौराहे तक चार ओर मुर्गों की दुकान लगी हुई हैं और कुचबंदिया व कुछ अन्य समाज के लोग या मुर्गी खरीदने पहुंचे हैं।
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