त्रिकुट रोपवे दुर्घटना के दो साल बाद जागी झारखंड सरकार, केबल कार ऑपरेटर को किया ब्लैकलिस्ट
अप्रैल 2022 में त्रिकुट हिल्स में एक बड़ी केबल कार दुर्घटना में तीन लोगों की जान चली गई थी। इस हादसे के दौरान करीब 46 घंटे तक हवा में फंसे रहने के बाद 60 से अधिक लोगों को अभियान चलाकर बचाया गया था।
रांची (आरएनआई) झारखंड की सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। उसने देवघर जिले के त्रिकुट हिल्स के केबल कार ऑपरेटर दामोदर रोपवे एंड इंफ्रा लिमिटेड (डीआरआईएल) को पांच साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया है। साथ ही उस पर नौ करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है।
अप्रैल 2022 में त्रिकुट हिल्स में एक बड़ी केबल कार दुर्घटना में तीन लोगों की जान चली गई थी। इस हादसे के दौरान करीब 46 घंटे तक हवा में फंसे रहने के बाद 60 से अधिक लोगों को एनडीआरएफ, सेना, वायु सेना और प्रशासन द्वारा संयुक्त अभियान चलाकर बचाया गया था।
राज्य के पर्यटन विभाग के अनुसार, 766 मीटर लंबा त्रिकुट रोपवे भारत का सबसे ऊंचा ऊर्ध्वाधर रोपवे है। दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए पर्यटन विभाग द्वारा एक जांच समिति का गठन किया गया था। इस दुर्घटना के बाद डीआरआईएल पर सवाल खड़े हो गए थे। उस पर लापरवाही के आरोप लगे थे। हालांकि कंपनी ने इस आरोप से इनकार कर दिया था।
झारखंड पर्यटन विकास निगम (जेटीडीसी) बोर्ड ने डीआरआईएल को पांच साल के लिए काली सूची में डालने का फैसला किया है। पर्यटन सचिव मनोज कुमार ने बताया कि सरकार ने इस पर नौ करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया है। उन्होंने कहा कि जेटीडीसी के प्रबंध निदेशक ने कंपनी को 9.11 करोड़ रुपये जमा करने के लिए एक पत्र जारी किया है। अगर कंपनी जुर्माना नहीं भरती है तो उसके खिलाफ नागरिक क्षति का मुकदमा दायर किया जाएगा।
डीआरआईएल के प्रबंध निदेशक आदित्य ने कहा कि यह कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण और न्याय के खिलाफ है। उन्होंने दावा किया कि जांच समिति या जेटीडीसी ने उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। उन्होंने कहा, 'हम उस आदेश के खिलाफ अदालत जा रहे हैं। लापरवाही के आरोप पूरी तरह से झूठे हैं। हम पूरे भारत में 14 रोपवे चला रहे हैं। रोपवे उद्योग में डीआरआईएल की बाजार हिस्सेदारी 30-40 प्रतिशत है। यहां तक कि जांच समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि यह बहुत ही कम खामी है। आप किसी फर्म को काली सूची में कैसे डाल सकते हैं? यह एक कठोर निर्णय है।'
उन्होंने दावा किया कि नौ करोड़ रुपये के जुर्माने का कोई आधार नहीं है, जिसमें पांच करोड़ रुपये के मरम्मत और रखरखाव शुल्क शामिल हैं।
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