तुषार गांधी के खिलाफ प्रदर्शन, भाजपा-आरएसएस को बताया था दुश्मन
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने तुषार गांधी के खिलाफ भाजपा-आरएसएस कार्यकर्ताओं की नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन की आलोचना की। उन्होंने कहा, इस कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उनकी मानसिकता महात्मा गांधी की हत्या करने वालों से अलग नहीं है। यह बेहद निंदनीय है।

तिरुवनंतपुरम (आरएनआई) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी के एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। तुषार ने भाजपा-आरएसएस को एक खतरनाक और कपटी दुश्मन बताया, जिसके बाद उनका विरोध शुरू हो गया। केरल में भाजपा और आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को तुषार के खिलाफ प्रदर्शन किया और उनसे अपना बयान वापस लेने की मांग की।
घटना के अगले दिन बृहस्पतिवार को केरल पुलिस ने इस मामले में भाजपा और आरएसएस के पांच कार्यकर्ताओं के खिलाफ गैरकानूनी सभा, दंगा और गलत तरीके से बाधा डालने की धाराओं में मामला दर्ज किया है। इस मामले में अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। तुषार दिवंगत गांधीवादी पी. गोपीनाथन की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए बुधवार को तिरुअनंतपुरम में थे। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, कांग्रेस नीत यूडीएफ और माकपा नीत एलडीएफ का केरल में एक-दूसरे से लड़ने का लंबा इतिहास रहा है। यूडीएफ और एलडीएफ को यह समझने की जरूरत है कि भाजपा-आरएसएस के रूप में एक बहुत खतरनाक और कपटी दुश्मन केरल में प्रवेश कर चुका है। दोनों राजनीतिक मोर्चों को यह याद रखना होगा कि भारत के सामाजिक तानेबाने की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है। उनके राजनीतिक हित चाहे जो भी हों, इस समय यह कम महत्वपूर्ण है।
तुषार ने आगे कहा, आरएसएस अंग्रेजों से भी अधिक खतरनाक है। अंग्रेजों ने शासन करना चाहा था, लेकिन वर्तमान खतरा हमारे अस्तित्व के लिए खतरा है। आरएसएस देश की आत्मा को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है। हमें उनसे डरना चाहिए। अगर आत्मा चली गई तो सब कुछ चला जाएगा। तुषार के इस बयान को स्थानीय न्यूज चैनलों पर दिखाया गया, जिसके बाद भाजपा और आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया और बयान वापस लेने की मांग की।
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने तुषार गांधी के खिलाफ भाजपा-आरएसएस कार्यकर्ताओं की नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन की आलोचना की। उन्होंने कहा, इस कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उनकी मानसिकता महात्मा गांधी की हत्या करने वालों से अलग नहीं है। यह बेहद निंदनीय है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने वाली हरकतों को लोकतांत्रिक समाज में अनुमति नहीं दी जा सकती।
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