तहरीर बदलने पर ही दर्ज होता है शाहाबाद कोतवाली में मुकदमा
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शाहाबाद हरदोई। शाहाबाद कोतवाली पुलिस ने अपराधों पर अंकुश लगाने का एक नायाब तरीका ढूंढ लिया है। बड़े अपराधों से संबंधित आने वाले प्रार्थना पत्रों को चेंज करवाकर प्राथमिक की दर्ज करने का सिलसिला पिछले काफी दिनों से चल रहा है। पीड़ित की रिपोर्ट इस शर्त पर दर्ज की जाती है जब उसे तहरीर बदलवा ली जाती है। शाहाबाद कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत अपराधिक गतिविधियां चरम सीमा पर हैं। मारपीट, लड़ाई, झगड़ा, छेड़छाड़, बलात्कार एक आम बात हो चुकी है। लेकिन बड़े अपराध आपको कोतवाली की रजिस्टर में अंकित नहीं मिलेंगे। इसका मुख्य कारण यह है कि पुलिस द्वारा दर्ज करने से पहले तहरीर बदलवा दी जाती है। छेड़छाड़ या दुष्कर्म के मामले में आने वाली शिकायतों पर शाहबाद पुलिस काफी टाल मटोल करती है। उसके बाद इसी शर्त पर मामला पंजीकृत किया जाता है कि तहरीर बदली जाएगी और जब तहरीर बदली जाती है तभी कोतवाली पुलिस मामूली धाराओं में मामला पंजीकृत करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेती है। शाहाबाद कोतवाली क्षेत्र के कई ग्रामों की ऐसी घटनाएं जिसमें किशोरियों को युवकों ने पड़कर दुष्कर्म का प्रयास किया लेकिन शाहाबाद कोतवाली पुलिस ने इन बड़े अपराधों को मामूली 294 की या फिर 151 में आरोपी का चालान करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। लगभग हर दूसरे प्रार्थना पत्र को पुलिस बदलवाने का कार्य कर रही है जबकि योगी आदित्यनाथ अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए लगातार पुलिस की नकेल कस रहे हैं लेकिन शाहाबाद कोतवाली में इसके ठीक विपरीत हो रहा है। मारपीट की घटनाओं में भी पुलिस का यही रवैया है, अगर किसी के सिर से खून नहीं बह रहा है या लहूलुहान नहीं है तो कोतवाली पुलिस उसकी रिपोर्ट एनसीआर में भी दर्ज नहीं करती। पीड़ित प्रार्थना पत्र देकर पुलिस का इंतजार करता रहता है। जांच के नाम पर पुलिस आरोपी के पास से मिलकर बैरंग वापस आ जाती है। पीड़ित पक्ष को पता ही नहीं चल पाता कि उसके प्रार्थना पत्र पर क्या हुआ? क्या कहते हैं जिम्मेदार ? इस संबंध में प्रभारी निरीक्षक राजदेव मिश्रा का कहना है कोतवाली में आने वाले हर पीड़ित की फरियाद सुनी जाती है और यथासंभव कार्रवाई की जाती है। मुकदमा पंजीकृत होने वाले सभी प्रार्थना पत्रों पर मुकदमा पंजीकृत होता है और साधारण एप्लीकेशन पर पुलिस जांच कर कार्रवाई करती है।
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