'तलाक लंबित रहने तक ससुराल जैसा लाभ पत्नी का हक', शीर्ष कोर्ट ने पारिवारिक अदालत का आदेश किया बहाल
शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के 1 दिसंबर, 2022 के आदेश को रद्द करते हुए पारिवारिक अदालत के आदेश को बहाल कर दिया। साथ ही पति को पारिवारिक अदालत के आदेश के मुताबिक हर महीने 1.75 लाख रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तलाक की याचिका के लंबित रहने तक पत्नी उन्हीं सुख-सुविधाओं की हकदार है, जैसी वह अपने ससुराल के घर में होती तो पाती। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने केरल के एक हृदय रोग विशेषज्ञ की अलग रह रही पत्नी की तलाक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। साथ ही पीठ ने अंतरिम गुजारा भत्ता राशि बढ़ाकर 1.75 लाख रुपये प्रति कर दी।
पारिवारिक अदालत ने पत्नी को 1.75 लाख रुपये प्रतिमाह अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था, जिसे मद्रास हाईकोर्ट ने घटाकर 80,000 रुपये प्रति माह कर दिया था। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने प्रतिवादी (पति) की आय से संबंधित कुछ पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया, जिन पर पारिवारिक अदालत ने गौर किया था। इसके अलावा, रिकॉर्ड में है कि अपीलकर्ता (पत्नी) काम नहीं कर रही है, क्योंकि शादी के बाद उसने काम छोड़ दिया था। अपीलकर्ता अपने वैवाहिक घर में एक निश्चित मानक के जीवन जीने की आदी थी और इसलिए, तलाक की याचिका के लंबित रहने के दौरान भी वह उन्हीं सुविधाओं का आनंद लेने की हकदार है, जिनकी वह अपने वैवाहिक घर में हकदार होती।
पीठ ने कहा कि पारिवारिक अदालत ने पति के जीवन स्तर, आय के स्रोत, संपत्ति की तुलना करते हुए पत्नी के लिए अंतरिम गुजारा भत्ता राशि तय की थी। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के 1 दिसंबर, 2022 के आदेश को रद्द करते हुए पारिवारिक अदालत के आदेश को बहाल कर दिया। साथ ही पति को पारिवारिक अदालत के आदेश के मुताबिक हर महीने 1.75 लाख रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया।
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