तमिलनाडु के पूर्व मंत्री बालाजी को फिलहाल राहत नहीं, अदालत ने जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है। सेंथिल बालाजी को बीते वर्ष धन शोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था।
नई दिल्ली (आरएनआई) देश की सर्वोच्च अदालत ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है। सेंथिल बालाजी को बीते वर्ष धन शोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने मामले की सुनवाई की। अदालत में ईडी की तरफ से सरकारी वकील तुषार मेहता पेश हुए। इसके अलावा अदालत में सेंथिल बालाजी की तरफ से वर्षिठ वकील मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना।
सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने द्रमुक नेता को जमानत देने का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि मुकदमें में देरी के लिए सेंथिल बालाजी जिम्मेदार हैं। उधर, मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि सेंथिल बालाजी बीते एक वर्ष से अधिक समय से जेल में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में ट्रायल के जल्द पूरा होने की भी कोई संभावनाएं नहीं हैं। इसके बाद अदालत ने सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि अगर बालाजी को इस मामले में जमानत पर रिहा किया जाता है, तो इससे समाज में गलत संकेत जाएगा।
ईडी ने बीते साल जून में ईडी ने वी सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार किया था। साल 2014 में अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए बालाजी पर मेट्रोपोलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन में पैसे लेकर लोगों को नौकरी देने के आरोप लगे थे। आरोप है कि बालाजी ने धन शोधन किया था। हालांकि, जे जयललिता के निधन के बाद बालाजी ने अन्नाद्रमुक को अलविदा कहा और साल 2018 में द्रमुक का दामन थाम लिया था। बालाजी की गिरफ्तारी पर जमकर हंगामा हुआ था और गिरफ्तारी के तुरंत बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। बालाजी को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी दिल की सर्जरी की गई। इसके बाद 17 जुलाई को अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद सेंथिल बालाजी को तमिलनाडु की पुझल सेंट्रल जेल भेजा गया और तब से वे जेल में बंद हैं।
शीर्ष अदालत ने आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व संचार प्रभारी विजय नायर की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा है। आपको बता दें कि विजय नायर पर दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में धन शोधन का आरोप है। न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ता को करीब दो वर्ष पहले सीबीआई ने गिरफ्तार किया था और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा भी उन्हें लगातार हिरासत में रखा। इस वजह से नोटिस जारी किया जाता है।’ याचिकार्ता की तरफ से अदालत में वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी और विक्रम चौधरी पेश हुए। उन्होंने कहा कि नायर को लगभग दो वर्षों से जेल में रखा गया है। इस दौरान वकीलों ने मनीष सिसोदिया मामले का भी जिक्र किया। वकीलों ने कहा कि इस मामले में 353 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं और आज तक सुनवाई शुरू नहीं हुई। आपको बता दें कि विजय नायर को 13 नवंबर वर्ष 2022 में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद निचली अदालत ने 29 जुलाई को नायर की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। नायर ने निचली अदालत के फैसले को उच्च अदालत में चुनौती दी थी। बीते वर्ष तीन जुलाई को उच्च न्यायालय ने भी धन शोधन के मामले में नायर और एक अन्य सह आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
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