तंबाकू से हर चार सेकंड में एक मौत, बच्चे भी हो रहे हैं शिकार
धूम्रपान की वजह से मरने वालों में 13 लाख लोग वे हैं जो इसके कारण पैदा हुए धुएं का शिकार बन जाते हैं। ये ऐसे निर्दोष लोग हैं जो स्वयं इन उत्पादों का उपयोग न करने के बावजूद अप्रत्यक्ष रूप से इससे पैदा हुए धुंए में सांस लेने को मजबूर हैं। इनमें 30 फीसदी बच्चे शामिल हैं।
नई दिल्ली, (आरएनआई) तंबाकू हर चार सेकंड में एक इन्सान की जान ले रहा है। मतलब एक साल में 80 लाख लोगों की मौत के लिए तंबाकू जिम्मेदार है। धूम्रपान करने वाले हर 10 में से नौ लोग 18 साल के होने से पहले ही इसकी लत में पड़ जाते हैं, जो उन्हें हर दिन उनकी मौत के और करीब ले जाता है। यानी बड़ों के साथ यह बच्चों को भी अपना शिकार बन रहा है। यह बात विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट में सामने आई है।
धूम्रपान की वजह से मरने वालों में 13 लाख लोग वे हैं जो इसके कारण पैदा हुए धुएं का शिकार बन जाते हैं। ये ऐसे निर्दोष लोग हैं जो स्वयं इन उत्पादों का उपयोग न करने के बावजूद अप्रत्यक्ष रूप से इससे पैदा हुए धुंए में सांस लेने को मजबूर हैं। इनमें 30 फीसदी बच्चे शामिल हैं। डॉ. केर्स्टिन स्कॉटे, चिकित्सा अधिकारी, डब्ल्यूएचओ ने कहा कि दुनिया के करीब आधे बच्चे तंबाकू के चलते प्रदूषण युक्त हवा में सांस ले रहे हैं। हर साल तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने से करीब 51 हजार बच्चों की मौत हो जाती है।
एक ओर दुनियाभर में जहां 30 करोड़ से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, वहीं 120 से अधिक देशों में 30 करोड़ हेक्टेयर से अधिक भूमि का उपयोग घातक तंबाकू उगाने के लिए किया जा रहा है। यहां तक कि उन देशों में भी भारी मात्रा में तंबाकू उगाई जा रही है जहां लोग भूखों मर रहे हैं। तंबाकू से कैंसर, हृदय रोग जैसी बीमारियां हो रही हैं।
डब्ल्यूएचओ ने बच्चों और युवाओं को इसकी लत से बचाने के लिए सरकारों से स्कूलों में धूम्रपान और वेपिंग (इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट) पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है। स्कूलों को तंबाकू और निकोटीन मुक्त रखने से इसे रोकने में मदद मिल सकती है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि चूंकि बच्चे अपने दिन का करीब एक-तिहाई समय स्कूलों में बिताते हैं, ऐसे में उन्हें यहां अपने साथियों के दबाव का सामना भी करना पड़ता है।
अंतराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट में छपे एक अध्ययन से पता चला है कि तंबाकू का उपयोग भारत के लिए एक बड़ी समस्या है। आंकड़े दर्शाते हैं कि देश में धूम्रपान के कारण हर साल 10 लाख लोगों की मौत हो रही है। इस आंकड़े में पिछले तीन दशकों में 58.9 फीसदी का इजाफा हुआ है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, भारत में हर साल होने वाली साढ़े तरह लाख मौतों के लिए तंबाकू जिम्मेदार है।
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