डॉक्टर की विधवा ने ऐसा क्या कहा कि उत्तराखंड सरकार पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, कहा- सूद समेत दें 1 करोड़
महिला के डॉक्टर पति को अप्रैल 2026 में जसपुर के कम्युनिटी हेल्थ केयर में ड्यूटी के दौरान कुछ हमलावरों ने गोली मार दी थी। उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 50 लाख रुपये देने के फैसले को मंजूरी दी थी। लेकिन महिला पिछले 9 सालों से मुआवजे के लिए मुकदमा लड़ रही है।

उत्तराखंड (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को फटकार लगाई है कि उसने अप्रैल 2016 में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ड्यूटी के समय मारे गए सरकारी डॉक्टर की विधवा को मुआवजे का भुगतान नहीं किया, जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 50 लाख रुपये देने के फैसले को मंजूरी दी थी। इस बात से परेशान महिला पिछले 9 सालों से मुआवजे के लिए मुकदमा लड़ रही है।
20 अप्रैल, 2016 को महिला के पति को जसपुर के कम्युनिटी हेल्थ केयर में ड्यूटी के दौरान कुछ हमलावरों ने गोली मार दी थी। पीड़ित परिवार का कहना है कि अगर 2016 में ही 50 लाख रुपये अनुग्रह राशि के तौर पर दे दिए गए होते तो नौ साल तक उन्हें मुकदमा लड़ने की जरूरत नहीं थी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह उत्तराखंड सरकार की इस बात से नाराज है कि डॉक्टर का परिवार पिछले 9 सालों से मुआवजे के लिए मुकदमा लड़ने के लिए मजबूर है इसलिए अब इन सालों के इंटरेस्ट के साथ उन्हें मुआवजा दिया जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को 1 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि मुख्य सचिव द्वारा मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये देने के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद भी इसे स्वीकार नहीं किया गया और परिवार नौ साल से अधिक समय से मुकदमा लड़ रहा है। स्वीकृत राशि जारी करने के लिए परिवार द्वारा किए गए अनुरोध को इस बहाने से स्वीकार नहीं किया गया कि उक्त राशि जारी करने की मंजूरी नहीं दी गई है। हमारे विचार में घटना की गंभीरता को देखते हुए, मंजूरी को स्वीकार किया जाना चाहिए और ब्याज सहित राशि का भुगतान किया जाना चाहिए। इस प्रकार, लगभग 9 वर्षों के लिए ब्याज जोड़ते हुए हम कुल राशि 1 करोड़ रुपये करते हैं।"
जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने उत्तराखंड राज्य द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका में यह आदेश पारित किया। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने साल 2018 में राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को 1.99 करोड़े रुपये के मुआवजे का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने याचिका दाखिल किए जाने से फैसला सुनाए जाने तक 7.5 पर्सेंट सालाना ब्याज के साथ विधवा को 1.99 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया था। साथ ही राज्य के मेडिकेयर सर्विस पर्संस एंड इंस्टीटूयशन एक्ट, 2013 के प्रवधानों को लागू करने और परिवार को अतिरिक्त पेंशन लाभ देने के लिए भी कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के चीफ सेक्रेटरी की ओर से 50 लाख रुपये के मुआवजे का प्रस्ताव दिए जाने और मुख्यमंत्री की ओर से उसे अप्रूव किए जाने के बाद भी पीड़ित परिवार को राशि नहीं दी गई, जबकि उनसे कहा गया कि अप्रूवल नहीं मिला है। याचिकाकर्ता का कहना है कि अब तक सिर्फ एक लाख रुपये अनुग्रह राशि के तौर पर परिवार को दिए गए। कोर्ट ने कहा कि यह देखते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया जाता है कि वह नौ सालों के इंटरेस्ट के साथ परिवार को यह राशि देगी, जो कुल एक करोड़ रुपये बनती है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि परिवार को 11 लाख रुपये पहले ही दिए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि साल 2021 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर परिवार को छुट्टियों का पैसा, ग्रैच्युटी, जीपीएफ, फैमिली पेंशन और जीआईएस दिया गया, जबकि उनके बेटे को हेल्थ डिपार्टमेंट में जूनियर असिस्टेंट के तौर पर नियुक्ति भी दी गई। राज्य सरकार की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने 1 करोड़ रुपये में से 11 लाख हटाकर मुआवजा राशि 89 लाख रुपये कर दी है।
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