डॉ विष्णु सक्सेना गीत सम्मान से नवाजे गए नवोदित गीतकार हवा जब तेज चलती है तो पन्ने मोड जाती है
सिकंदराराऊ।
सरला नारायण ट्रस्ट द्वारा जीटी रोड स्थित हुमैरा गेस्ट हाउस में डॉ विष्णु सक्सेना गीत सम्मान समारोह एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि राजा महेंद्र प्रताप विश्वविद्यालय अलीगढ़ के कुलपति चंद्रशेखर एवं विशिष्ट अतिथि सर्वेश अस्थाना ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया। इस अवसर पर आयोजक अंतर्राष्ट्रीय गीतकार डॉ विष्णु सक्सेना एवं सरला नारायण ट्रस्ट के ट्रस्टी शिवदयाल सक्सेना, वंदना सक्सेना, चित्रांश सक्सेना ,सारांश सक्सेना, राहुल सक्सेना व सदस्यों द्वारा डॉ विष्णु सक्सेना गीत सम्मान से गीतकार अजातशत्रु एवं शैलेंद्र मधुर एवं कवित्री रचना उनियाल तथा रश्मि शर्मा को सम्मानित किया गया। वहीं श्योराज सिंह यादव, आशा पुंढीर, सुभाष चंद्र शर्मा एवं नसीम बेगम को शिक्षक के रूप में सम्मान दिया गया। सम्मान समारोह की अध्यक्षता पूर्व पालिका अध्यक्ष विजय भारत कुलश्रेष्ठ ने की वहीं कवि सम्मेलन गीतकार रामेंद्र मोहन त्रिपाठी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ जबकि संचालन सर्वेश अस्थाना ने किया। यह कार्यक्रम नगर के वरिष्ठ कवि स्वर्गीय कुंवर पाल शर्मा कुंवर को समर्पित रहा ।
वरिष्ठ कवि रामेंद्र त्रिपाठी ने कई लोकप्रिय रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
हवा जब तेज चलती है तो पन्ने मोड जाती है, हो मौसम में शरारत तो हरारत दौड़ जाती है। उम्र पर तंज करते हो मेरे बच्चों तो यह सुन लो, बुढ़ापा साथ देता है जवानी छोड़ जाती है।
प्रयागराज से पधारे गीतकार शैलेंद्र मधुर ने रचना सुनाई।
हम हवेली के कबूतर हैं खुली छत के नहीं, दायरा उडने का बढ़ जाए तो मर सकते हैं ।
वहीं उदयपुर राजस्थान से पधारे राव अजात शत्रु ने रचना पढ़ी
आज तुम्हारा गीत पढा तो मनवीणा झंकृत हो बैठी, मुस्कानों के यज्ञ हुए और खुशियां पंचामृत हो बैठी।
गीतकार बलराम श्रीवास्तव मैनपुरी ने सुनाया
में अगर बिम्ब हूं तो तुम तारिका, मैं सजर हूं अगर तो तुम सारिका। राह में यूं अकेला नहीं छोड़ना , मैं सुदामापुरी हूं तो तुम द्वारिका।
मध्य प्रदेश से आए हास्य व्यंग्यकार गोविंद राठी की रचनाओं पर लोगों ने खूब तालियां बजाईं।
हर युग में सियासत की अपनी-अपनी व्यवस्थाएं होती हैं, पहले द्रौपदियों की इज्जत सभाओं में लुटती थी, आजकल इज्जत लूटने के बाद सभाएं होती हैं।
बदायूं की कवित्री डॉ सोनरूपा विशाल ने मां और पिता पर अपनी लोकप्रिय रचनाएं सुना कर लोगों को भाव विभोर कर दिया
जो मिला ही नहीं वह खोता क्या, कोई बंजर जमीन पर बोता क्या। प्यार है तो है जहां कायम, प्यार होता नहीं तो होता क्या।
स्थानीय कवि शिवम कुमार आजाद ने देशभक्ति की रचना के साथ कई गीत सुनाए
मेरे देश की सरहदों का सिपाही, उठा शीष दुश्मन से यह कह रहा है। तुम्हारे वतन में लहू बह रहा है, हमारे लहू में वतन बह रहा है।
संचालन कर रहे स्माइल मैन सर्वेश अस्थाना ने हास्य के साथ-साथ व्यंग्य की कई रचनाएं सुनाईं और खूब तालियां बटोरी।
वही कार्यक्रम आयोजक अंतर्राष्ट्रीय गीतकार डॉ विष्णु सक्सेना ने अपने गीतों के माध्यम से समां बांध दिया।
इस अवसर पर अध्यक्ष मुशीर अहमद विपिन वार्ष्णेय गौरी शंकर गुप्ता भगवान दास गुप्ता, सूरज वार्ष्णेय, मुकुल गुप्ता, मीरा माहेश्वरी, हरपाल सिंह यादव, महेश यादव संघर्षी, अवशेष विमल, प्रमोद विषधर, देवदत्त वर्मा, विजय प्रताप सिंह , शशिकांत शर्मा , धीरज वार्ष्णेय, पिंकू राघव, नरेश प्रताप सिंह, शरीफ अली, वीरो लाला आदि मौजूद रहे।
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