डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया "भावो के रंग" पुस्तक का लोकार्पण
वृन्दावन (आरएनआई) की प्रख्यात साहित्यिक संस्था "अखंड संडे" द्वारा होली के अवसर पर देश के विभिन्न प्रांतों के 101 रचनाकारों की रचनाओं से सुसज्जित होली विशेषांक "भावों के रंग" साझा संकलन का 89 वां ऑनलाइन लोकार्पण नगर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने विशिष्ट अतिथि के रूप में किया।लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता मुंबई के प्रख्यात साहित्यकार डॉक्टर रमेश गुप्त "मिलन" ने की।मुख्य अतिथि थे मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉक्टर विकास दवे।
डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि होली राष्ट्रीय पर्व है,जो कि प्रेम-सौहार्द व सामाजिक समरसता का प्रतीक है।पुस्तक "भावों के रंग" के माध्यम से सभी रचनाकारों ने देश व समाज को आपसी प्रेम-भाईचारे का सार्थक संदेश देकर अपने कर्तव्य और दायित्व का निर्वहन किया है,क्योंकि साहित्य समाज का दर्पण हुआ करता है।
उन्होंने कहा कि इस संग्रह में साहित्य की कविता, गीत, गजल, दोहे, कुण्डलियाँ एवं लघु कथाएँ आदि सभी विधाएं शामिल हैं। जो हमें प्रेम व भाईचारे के रंग में रंग देती हैं।
"अखंड संडे" संस्था के अध्यक्ष और "भावो के रंग" पुस्तक के संपादक मुकेश इंदौरी ने कहा कि इस संकलन में देश के विभिन्न प्रांतों के 101 रचनाकार शामिल हैं। इनमें 43 लेखक एवं 58 लेखिकाएँ हैं।इस संग्रह की रचनाओं में रचनाकारों ने अपने जीवन के अनुभवों को, भावों के रंगों को एक सूत्र में पिरोकर, रचनाओं में ढालकर, लेखनी को पिचकारी बनाकर, शब्दों की बौछार कर कागज़ पर उकेरा हैं।इन रचनाओं में जीवन के अनुभवों के साथ-साथ जीवन के कुछ कड़वे पलों की दास्ताँ, वक्त की मार से बेरंग हुए रंगों का जिक्र भी रचनाओं में शामिल हैं।रचनाओं में होली खुलकर न मना पाने का मलाल है, तो कहीं सब कुछ भुलाकर नए सोपान गढऩे और उनमें नए रंग भरने का वर्णन भी है। जो हमें जीवन के कठिन काल, निराशा के दौर में आशा, उम्मीद की एक किरण दिखाता है।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश मराठी अकादमी ( इंदौर ) के सह सचिव कीर्तिश धामारीकर "शास्त्री", छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व उप-संचालक(सूचना एवं जनसंपर्क) टी.पी. त्रिपाठी, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ पदमा सिंह, चंद्रभान भारद्वाज, डॉ.साधना देवेश (मुंबई), हरमोहन नेमा, अनिल ओझा, सुरेन्द्र व्यास,डॉक्टर शशि कला अवस्थी, श्याम बागोरा, कार्तिकेय त्रिपाठी, ब्रजेन्द्र नागर, डॉ. शशि निगम, नवनीत जैन, प्रभा जैन , सुनीता श्रीवास्तव, शील मालतारे, उषा गुप्ता, रेणु मेहता आदि कई साहित्यकार उपस्थित थे।संचालन मुकेश इंदौरी ने किया।
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