डेटा विश्लेषण के जरिये आपूर्ति श्रृंखला में ‘गुम कड़ी’ का पता लगा रहे हैं जीएसटी अधिकारी
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिकारी किसी क्षेत्र विशेष की आपूर्ति श्रृंखला में कर चोरी को पकड़ने के लिए डेटा विश्लेषण का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके जरिये अधिकारी यह पता लगा रहे हैं कि आपूर्ति श्रृंखला में किसी स्तर पर कर अपवंचना तो नहीं हुई है।
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नयी दिल्ली, 23 अप्रैल 2023, (आरएनआई)। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिकारी किसी क्षेत्र विशेष की आपूर्ति श्रृंखला में कर चोरी को पकड़ने के लिए डेटा विश्लेषण का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके जरिये अधिकारी यह पता लगा रहे हैं कि आपूर्ति श्रृंखला में किसी स्तर पर कर अपवंचना तो नहीं हुई है।
बीते वित्त वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का पता चला है। ऐसे में जीएसटी आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने अनुपालन को बेहतर करने के लिए शुरुआती स्तर पर ही कर चोरी को पकड़ने के अपने प्रयासों को तेज किया है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हम किसी क्षेत्र के लिए ‘एंड-टू-एंड’ विश्लेषण और आपूर्ति श्रृंखला में कर भुगतान का आकलन कर रहे हैं जिससे यह पता लगाया जा सके कि कोई ऐसी कड़ी तो नहीं छूट गई है, जिसमें कर का भुगतान नहीं हुआ है।
डेटा विश्लेषण के तहत किसी क्षेत्र में कर भुगतान की पूर्ववर्ती उत्पाद एवं सेवा कर व्यवस्था के भुगतान से तुलना की जाती है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘अब जबकि जीएसटी प्रणाली स्थिर हो गई है, हम इसे और सुव्यवस्थित करने का प्रयास कर रहे हैं। हम यह पता लगाना चाहते हैं कि क्या जीएसटी के तहत आने वाले सभी क्षेत्र करों के अपने हिस्से का भुगतान कर रहे हैं।’’
विश्लेषण के बाद अगर विभाग को लगता है कि कानून या शुल्क में कुछ बदलावों की आवश्यकता है, तो इसे अनुमोदन के लिए जीएसटी परिषद के समक्ष रखा जाएगा।
अधिकारी ने कहा, ‘‘डेटा विश्लेषण एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन विनिर्माण के चरण में ही जीएसटी चोरी की जांच करने के लिए यह जरूरी है। यह अनुपालन में सुधार सुनिश्चित करते हुए राजस्व बढ़ाने में मदद करेगा।’’
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि डीजीजीआई को उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करने के लिए कई प्रौद्योगिकी उपकरणों के साथ सशक्त किया गया है।
वित्त वर्ष 2022-23 में कर अधिकारियों ने 1.01 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का पता लगाया है। सालाना आधार पर कर चोरी लगभग दोगुनी हो गई है। डीजीजीआई ने इस दौरान 21,000 करोड़ रुपये की वसूली की है।
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