डाक्टरों की सुरक्षा अस्पताल प्रबंधन स्तर पर हो, कड़े कानून की जरूरत
(उषा पाठक/आनंद ठाकुर)
नई दिल्ली (आरएनआई) देशभर में डाक्टरों की कड़ी सुरक्षा अस्पताल प्रशासन के स्तर पर होने से ही इस समस्या का व्यापक स्तर पर निदान सम्भव है।इसके साथ ही ऐसे सेवा में लगे मामलों की त्वरित जांच कर अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
देश के वरिष्ठ चिकित्सकों एवं प्रबुद्ध जनों ने आज यह राय जाहिर की। पश्चिम बंगाल में गत दिनों एक महिला डाक्टर के साथ हुयी दरिंदगी की घटना के विरोध में पिछले 10 दिनों से राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलनरत यूनियर डाक्टर्स हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद काम पर लौट आए हैं, मगर सुरक्षा का मसला अभी भी एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है।
सफदरजंग अस्पताल में नेत्र रोग विभाग के प्रमुख रहे डॉ.के.पी.एस. मलिक ने कहा है,कि देशभर में डाक्टरों की कड़ी सुरक्षा अस्पताल प्रशासन के स्तर पर होने से ही इस समस्या का व्यापक स्तर पर निदान सम्भव है।
डॉ.मलिक ने यह भी कहा है, कि कोलकाता कांड के दोषियों को त्वरित सुनवाई कर तीन महीने में फांसी की सजा होनी चाहिए। इससे ऐसे अपराधियों में भय व्याप्त होगा। उन्होंने यह भी कहा है,कि अस्पतालों में महिला एवं पुरुष रेजिडेंट डाक्टरों के लिए अलग अलग विश्राम कक्ष हो एवं उसमें सुरक्षा के सभी आधुनिक तकनीक हो।
सुप्रसिद्ध समाजसेवी एवं देश में कई जनांदोलनों के अगुआ रहे अरविंद पाठक ने कहा है,कि अस्पतालों में डाक्टरों खासकर महिला चिकित्सकों के खिलाफ अपराध की घटनायें बेहद गंभीर है। कोलकाता कांड के दोषियों को तुरंत फांसी की सजा हो।
लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मणि शंकर पाण्डेय ने कहा है,कि कोलकाता की घटना देश के लिए शर्म की बात है। दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए एवं डाक्टरों की देशभर में कड़ी सुरक्षा होनी चाहिए।एल.एस.
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