ट्रंप पर बाइडन का तीखा हमला
जो बाइडन ने ट्रंप पर पुतिन के आगे झुकने के आरोप लगाए और जोश में कहा कि 'मैं नहीं झुकुंगा'। बाइडन ने ट्रंप का नाम नहीं लिया लेकिन पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व रिपब्लिकन राष्ट्रपति कहकर बाइडन ने साफ कर दिया कि वह ट्रंप की ही बात कर रहे हैं।
वॉशिंगटन (आरएनआई) राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को देश के नाम संबोधन (स्टेट ऑफ द यूनियन स्पीच) में डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा हमला बोला और चेतावनी दी कि अमेरिका में लोकतंत्र खतरे में है। अपने संबोधन की शुरुआत में ही बाइडन ने कहा कि 'मैं कांग्रेस और अमेरिका के लोगों को खतरे को लेकर अलर्ट करना चाहता हूं।' उन्होंने कहा कि 'राष्ट्रपति लिंकन और सिविल वॉर से अब तक देश और दुनिया में लोकतंत्र और आजादी कभी इतने खतरे में नहीं थी, जितनी आज है। लोकतंत्र पर हमले हो रहे हैं।'
जो बाइडन ने ट्रंप पर पुतिन के आगे झुकने के आरोप लगाए और जोश में कहा कि 'मैं नहीं झुकुंगा'। हालांकि बाइडन ने ट्रंप का नाम नहीं लिया लेकिन पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व रिपब्लिकन राष्ट्रपति कहकर बाइडन ने साफ कर दिया कि वह ट्रंप की ही बात कर रहे हैं। गुरुवार का बाइडन का संबोधन उनके सबसे अहम राजनीतिक भाषणों में से एक रहा और इसके साथ ही बाइडन ने उन आशंकाओं पर भी विराम लगा दिया, जिनमें बाइडन की बढ़ती उम्र और उनकी मानसिक क्षमता को लेकर सवाल उठ रहे थे। अमेरिका में हो रहे प्राइमरी चुनाव के नतीजों से साफ है कि नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में बाइडन का मुकाबला ट्रंप से होना तय है।
अमेरिकी चुनाव में गर्भपात का अधिकार भी एक बड़ा मुद्दा है, जिसका रिपब्लिकन विरोध कर रहे हैं। बाइडन ने कहा कि रिपब्लिकन को अमेरिका में महिलाओं की ताकत का अंदाजा नहीं है। डेमोक्रेट पार्टी का फोकस महिला मतदाताओं पर ज्यादा है। बाइडन ने अर्थव्यवस्था पर अपनी सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था संकट में थी, लेकिन अब हमारी अर्थव्यवस्था बहुत बेहतर स्थिति में है। तीन वर्षों में 15 मिलियन नौकरियां दी गई हैं, यह एक रिकॉर्ड है और देश में बेरोजगारी 50 वर्षों में सबसे कम है। बाइडन ने अपने भाषण में गाजा में मानवीय मदद पहुंचाने का एलान किया।
जो बाइडन ने कहा कि अमेरिका, ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और सुरक्षा के लिए चीन के खिलाफ खड़ा है और भारत जैसे सहयोगियों के साथ साझेदारी को और मजबूत कर रहा है। बाइडन ने कहा कि हम चीन के साथ प्रतिस्पर्धा चाहते हैं, संघर्ष नहीं। राष्ट्रपति चुनाव से पहले जो बाइडन का यह बतौर मौजूदा राष्ट्रपति आखिरी स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन रहा।
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