ट्रंप की जीत से फंसा यूरोप! एलन मस्क को नाराज करना पड़ सकता है भारी
मस्क, ट्रंप के बहुत करीबी हैं और उनकी जीत में मस्क की अहम भूमिका रही। यही वजह है कि मस्क को नाराज करने का मतलब ट्रंप को नाराज करना हो सकता है और अभी यूरोप नहीं चाहेगा कि सत्ता संभालने से पहले ही ट्रंप के साथ तनातनी की जाए।
वॉशिंगटन (आरएनआई) अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से जिस शख्स को शायद कहें कि सबसे ज्यादा फायदा होने जा रहा है तो वो एलन मस्क हो सकते हैं। दरअसल एलन मस्क की सोशल मीडिया कंपनी एक्स यूरोप में तकनीकी नियामकों के साथ विवाद में फंसी हुई है और आशंका है कि यूरोप एक्स पर अरबो डॉलर का जुर्माना लगा सकती है, लेकिन अब ट्रंप की जीत के बाद पूरे समीकरण बदल गए हैं। मस्क, ट्रंप के बहुत करीबी हैं और उनकी जीत में मस्क की अहम भूमिका रही। यही वजह है कि मस्क को नाराज करने का मतलब ट्रंप को नाराज करना हो सकता है और अभी यूरोप नहीं चाहेगा कि सत्ता संभालने से पहले ही ट्रंप के साथ तनातनी की जाए।
एलन मस्क की सोशल मीडिया कंपनी एक्स पर यूरोप के डिजिटल सर्विस एक्ट (DSA) के तहत भ्रामक कंटेंट को बढ़ावा देने और यूजर्स को भ्रम में डालने के आरोप लगे हैं। साथ ही एक्स पर विज्ञापनों में पार्दर्शिता न रखने और रिसर्चर्स को प्लेटफॉर्म के डाटा तक पहुंच न देने के गंभीर आरोप हैं। डीएसए की जांच में भी पाया गया है कि एक्स द्वारा गैरकानूनी कंटेंट को फैलाया गया और कंटेंट को तोड़-मरोड़कर यूजर्स के सामने पेश किया गया। यूरोपीय देश तकनीकी नियामक के नियमों को बेहद गंभीरता से लेते हैं। डीएसए की जांच पूरी हो चुकी है और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डीएसए अब जल्द ही एक्स पर भारी भरकम जुर्माने का फैसला सुनाने वाला था, लेकिन अब ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद हालात पूरी तरह से बदल गए हैं।
मस्क इसे वैचारिक लड़ाई के तौर पर पेश कर रहे हैं और अभिव्यक्ति की आजादी बताते हुए पीछे हटने के मूड में नहीं हैं। अब यूरोपीय देशों को चिंता है कि अगर उन्होंने मस्क की कंपनी पर भारी जुर्माना लगाया तो इससे ट्रंप नाराज हो सकते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप के डिप्टी और नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी संकेत दिए थे कि अमेरिका नाटो से अपना समर्थन वापस ले सकता है, अगर यूरोपीय संघ ने मस्क की कंपनी एक्स पर कार्रवाई की कोशिश की। उन्होंने कहा था कि 'अमेरिका ताकत के साथ कुछ जिम्मेदारियां भी आती हैं और उनमें से एक है अभिव्यक्ति की आजादी, खासकर यूरोपीय सहयोगियों के साथ।'
अब चूंकि यूक्रेन युद्ध के चलते यूरोपीय देशों को रूस से अपनी सुरक्षा की चिंता है। यही वजह है कि वे ऐसे वक्त में अमेरिका को नाराज करने का खतरा मोल नहीं ले सकते। यूक्रेन की मदद के लिए अमेरिका अहम है। खासकर ट्रंप के युद्ध विरोधी रवैये और अमेरिका फर्स्ट नीति के चलते पहले ही यूरोप की सांसें फूली हुई हैं। अब देखने वाली बात होगी कि यूरोप क्या रास्ता निकालता है, लेकिन इस पूरे मामले में मस्क को फायदा मिलने वाला है।
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