टेलीकॉम कंपनियों ने चंडीगढ़ को बनाया 'गड्ढागढ़', खुदाई करते हैं फिर करते नहीं
लोगों का आरोप है कि ऑप्टिकल फाइबर बिछा रही टेलीकॉम कंपनियां शहर को खोखला कर रही हैं। कंपनियों और निगम के दावों की पोल हर बार बारिश में खुल जाती है। कंपनियों के गड्ढे की शिकायत की जाती है तो उसे आनन फानन में भर दिया जाता है लेकिन जब भी बारिश होती है तो वहां की जमीन नीचे धंस जाती है।
चंडीगढ़, (आरएनआई) टेलीकॉम कंपनियों ने चंडीगढ़ को गड्ढागढ़ बना दिया है। शहर के कई इलाकों में लोगों के घरों, मार्केट में दुकानों के आगे कंपनियों की ओर से गड्ढे खोद दिए दिए हैं। इनमें कई भर दिए गए लेकिन अधिकतर खुले हुए हैं। कंपनियों पर नगर निगम का कोई नियंत्रण नहीं है।
शहर के लोग इस समस्या से परेशान हैं लेकिन समाधान किसी के पास नहीं है। हाल ही में हुए सदन की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था लेकिन अधिकारियों ने अपनी असमर्थता जाहिर कर दी थी।
शहर के कई वार्ड में लोग टेलीकॉम कंपनियों की मनमानी से परेशान हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि नियमानुसार कंपनी को तार बिछाने के बाद सभी गड्ढों को भर देना चाहिए लेकिन कंपनियां ऐसा नहीं कर रही हैं। नगर निगम ने भी समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके कारण अब लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा लग रहा है कि शहर इनके हवाले हो चुका है। निगम के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि कंपनी जो भी नुकसान पहुंचाती है, उनसे जुर्माना के रूप में उस राशि को वसूला जाता है लेकिन लोगों को हो रही परेशानी को कैसे मापा जाए।
वर्तमान में सेक्टर-9, 22, 35 समेत कई इलाकों में तारें बिछाने का काम चल रहा है। घरों के आगे गड्ढे खोदे जा रहे हैं। गड्ढा खोदने के लिए हैवी ड्रिल मशीन का इस्तेमाल होता है। एक तो उसके कंपन से सड़क को नुकसान पहुंचता है। दूसरा, आसपास की जमीन भी कमजोर हो जाती है। सदन की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था, जिसमें आयुक्त आनिंदिता मित्रा ने भी माना था कि आईटी एक्ट की वजह से इन कंपनियों को बहुत ज्यादा छूट मिली हुई है। वह भी इतनी ज्यादा छूट के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि निगम कंपनियों के काम पर नजर रख रही है।
ऑप्टिकल फाइबर बिछा रही टेलीकॉम कंपनियां शहर को खोखला कर रही हैं। कंपनियों और निगम के दावों की पोल हर बार बारिश में खुल जाती है। कंपनियों के गड्ढे की शिकायत की जाती है तो उसे आनन फानन में भर दिया जाता है लेकिन जब भी बारिश होती है तो वहां की जमीन नीचे धंस जाती है। नगर निगम के अधिकारी भी मानते हैं कि नौ और 10 जुलाई को हुई भीषण बारिश में सबसे ज्यादा नुकसान उन जगहों पर हुआ, जहां टेलीकॉम कंपनियों ने तारें डाली थीं। वह जमीन ही नीचे धंस गई थी। आप पार्षद तरुणा मेहता ने कहा कि उन्होंने सदन की बैठक में भी यह मुद्दा उठाया था कि कंपनियां गड्ढा कर रही हैं और उन्हें आधा-अधूरा भर कर ही आगे बढ़ जा रही हैं। इससे शहर का काफी नुकसान हो रहा है। कंपनियों के ड्रिल की वजह से टाइलें, सीवर और रोड गली की लाइनें टूट चुकी हैं।
नेता प्रतिपक्ष दमनप्रीत सिंह ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों की वजह से लोग बहुत तकलीफ में हैं। ये बात सही है कि शहर के भविष्य के लिए तारों को अंडरग्राउंड करना जरूरी है लेकिन इसे सही से किया जाना चाहिए। अभी ऐसा नहीं हो रहा है। जहां-जहां कंपनियों ने गड्ढे किए हैं, वो बारिश में धंस गए हैं। ऐसे तो पूरा शहर खोखला हो जाएगा। निगम को जल्द इसका संज्ञान लेना चाहिए। दमनप्रीत सिंह ने कहा कि निगम को डक्ट बनाने चाहिए, जिसे कंपनियों को किराए पर दिया जा सके। इससे बार-बार गड्ढे नहीं करने होंगे और निगम को भी राजस्व मिलेगा।
तारें बिछाने का काम कर रही कंपनियों पर निगम की नजर है। फुटपाथ पर तोड़े जा रहे टाइलों के लिए निगम पहले ही प्रति स्क्वॉयर फीट के अनुसार पैसे जमा कर लेता है। अगर कंपनी पानी, सीवर या अन्य लाइनों को नुकसान पहुंचाती है तो उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किया जाता है। इसमें कोई ढील नहीं बरती जा रही है।
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