टीजीटी भर्ती में यूजी के साथ पीजी की डिग्री भी होगी मान्य, प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने बदले नियम
प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने 15 साल बाद प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों के भर्ती एवं पदोन्नति नियम बदल दिए हैं।
शिमला (आरएनआई) प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों (टीजीटी) की भर्ती में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री भी मान्य होगी। प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने 15 साल बाद प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों के भर्ती एवं पदोन्नति नियम बदल दिए हैं। लोकसेवा आयोग शिमला या कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के माध्यम से सीधी भर्तियां की जाएंगी। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में टीजीटी कैडर के 14,224 पद हैं। भर्ती एवं पदोन्नित नियमों में बदलाव को लेकर प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने अधिसूचना जारी कर दी है।
हिमाचल प्रदेश में अब टीजीटी की भर्ती में एनसीटीई नियम लागू होंगे। वर्ष 2009 में टीजीटी की सीधी भर्तियों के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियम बने थे, लेकिन अलग-अलग कैडर की भर्ती में नियम भी अलग थे। इसके चलते कई मामले कोर्ट केस में फंसे थे। नए नियमों का सामान्य वर्ग के उन अभ्यर्थियों को भी फायदा है जिनके स्नातक में 50 फीसदी अंक नहीं हैं। अब सभी कैडर स्ट्रैंथ के लिए एक समान भर्ती एवं पदोन्नित नियम लागू होंगे।
मेडिकल, नॉन मेडिकल और आर्ट्स संकाय में भर्ती के लिए एक सामान्य नियम लागू होंगे। नये नियमों में तय किया गया है कि टीजीटी कैडर की भर्तियों के लिए यूजी के साथ अब पीजी की डिग्री भी मान्य होगी। नई शर्तों के तहत शैक्षणिक योग्यता में तय किया गया है कि टीजीटी की भर्ती के लिए बीए में यदि 50 फीसदी अंक से कम प्रतिशतता है तो पीजी में 55 फीसदी अंक मान्य होंगे। इसके साथ ही जमा दो कक्षा में 50 फीसदी अंकों के साथ बीएड का चार साल का डिप्लोमा लागू होगा।
इसके साथ ही आवेदन करने वाले अभ्यर्थी के बीए, बीकॉम में 50 फीसदी अंक के साथ एक वर्ष का स्पेशल एजुकेशन का डिप्लोमा भी मान्य होगा।अभ्यर्थियों को टीईटी यानी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट पास करना जरूरी रहेगा। नये नियमों के तहत ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन में से किसी एक में सामान्य वर्ग के लिए 50 फीसदी अंकों की अनिवार्यता होगी। वर्तमान में ये 50 फीसदी सिर्फ यूजी में है।
टीजीटी की भर्ती बैचवाइज और कमीशन से आधी-आधी होती है। अब जिनके अंक यूजी में 50 फीसदी नहीं हैं, वे पीजी के 50 फीसदी के हिसाब से आवेदन कर सकते हैं। दूसरा बदलाव रूसा के कारण हुए सब्जेक्ट कंबिनेशन विवाद के कारण जरूरी था। इसमें मेजर और माइनर विषयों के कारण कुछ साल के यूजी छात्र टीजीटी के लिए अपात्र हो गए थे, जिसके बाद ये मामले कोर्ट में भी चले गए थे।
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