कोर्ट ने शुरू की झूठा मुकदमा लिखने वाली प्रिंसिपल एवं झूठी विवेचना करने वाले विवेचक के खिलाफ कार्रवाई

Mar 4, 2024 - 13:16
Mar 4, 2024 - 13:17
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कोर्ट ने शुरू की झूठा मुकदमा लिखने वाली प्रिंसिपल एवं झूठी विवेचना करने वाले विवेचक के खिलाफ कार्रवाई

मथुरा (आरएनआई) फर्जी मुकदमा लगाने वाली अस्थाई प्रधानाचार्य ने अपने पति के सहयोग से फर्जी मेडिकल बनवाकर व पुलिस से मेलजोल कर अपने विद्यालय के लोगो पर झूठा मुकदमा लिखाया था । अदालत ने मेरिट पर सुनवाई करते हुए मुकदमा झूठा पाते हुए सभी अभियुक्तों को बरी करते हुए फर्जी मुकदमा लिखने वाली प्रधानाचार्य और झूठे मुकदमे में चार्ज शीट लगाने वाले विवेचक पर कार्रवाई शुरू कर दी है 

शहर के मध्य स्थित जानकी बाई बालिका इंटर कॉलेज मथुरा की अस्थाई प्रधानाचार्य श्रीमती अनीता गौतम ने अपने ही विद्यालय की वरिष्ठ प्रवक्ता डॉक्टर सीमा सिंह व उनके पति अरुण कुमार सिंह तथा विद्यालय के सफाई कर्मचारी राधा चरण पर अपने पति सतीश कुमार के सहयोग से सेल्फ का फर्जी मेडिकल बनवाकर तथा थाना कोतवाली मथुरा पुलिस से सांठ गांठ कर फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था तथा पुलिस से मिलकर आरोप पत्र न्यायालय में भिजवा दिया था 

अपर मुख्य न्याययिक मजिस्ट्रेट प्रथम सोनिका वर्मा की अदालत ने मेरिट पर मुकदमे की सुनवाई करते हुए मुकदमा को झूठा पाया एवम झूठी गवाही देने वाली सीता शर्मा को अनीता गौतम का हितबद्ध गबह बताते हुए  डॉक्टर सीमा सिंह,  उनके पति अरुण कुमार सिंह, कॉलेज के सफाई कर्मचारी राधा चरण को बरी कर दिया ।

फर्जी मुकदमा करने पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए अनिता गौतम एवम मुकदमे की झूठी विवेचना करने वाले विवेचक छात्र पाल सिंह पर सीआरपीसी की धारा 340 के अंतर्गत दोनों को नोटिस जारी किया है निर्धारित तिथि पर अनीता गौतम व विवेचक छात्र पाल सिंह न्यायालय में उपस्थित नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ कोर्ट वारंट जारी कर तलब कर सकती है। महत्वपूर्ण है कि झूठे मुकदमा में निर्दोष को सजा दिलाने के लिए अनीता गौतम एवम उनके पति सतीश गौतम ने जज पर दबाव बनाने का भी अनेकों तरह से प्रयास किया ।

अधिवक्ता मोहर सिंह ने बताया कि जब अदालत पूरा ट्रायल कर बरी करती हैं तो फर्जी मुकदमा  लगाने व झूठी विवेचना करने वाले विवेचक,  झूठी गवाही देने वालो के खिलाफ मुकदमा चलाने की व्यवस्था सीआरपीसी में है इसमें उतनी ही सजा का प्रावधान है जिन धाराओं मे ट्रायल चला था और झूठा मुकदमा लिखाने वाले, झूठी विवेचना करने वाले विवेचक और झूठी गवाही देने वालो को सजा पक्की होती हैं क्योंकि ट्रायल दौरान सभी बाते अदालत के सामने आ चुकी होती हैं। इस प्रकार के मुकदमों में अदालत वादी होती हैं ।

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