'जेल में बंद आरोपी किसी अन्य आपराधिक मामले में मांग सकता है अग्रिम जमानत', सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
देश की शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा कि किसी मामले में हिरासत में लिए गए आरोपी को, अगर उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है तो वह किसी अन्य मामले में अग्रिम जमानत लेने का हकदार है।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस कानूनी सवाल पर विचार किया कि क्या जेल में बंद आरोपी को किसी अन्य आपराधिक मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए आवेदन करने का अधिकार है।
इसके बाद न्यायमूर्ति पारदीवाला ने पीठ के लिए फैसला सुनाते हुए कहा, जब तक आरोपी को उस अपराध के संबंध में गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तब तक वह अग्रिम जमानत लेने का हकदार है और अगर उसे उस मामले में भी गिरफ्तार किया जाता है तो एकमात्र उपाय नियमित जमानत के लिए आवेदन करना है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला धनराज असवानी नाम के व्यक्ति की तरफ से साल 2023 में दायर याचिका पर आया, जिसमें यह सवाल उठाया गया था।
पीठ ने अपने फैसले में कहा कि, ऐसा कोई स्पष्ट या अंतर्निहित प्रतिबंध नहीं है जो सत्र न्यायालय या उच्च न्यायालय को किसी आरोपी को अग्रिम जमानत देने से रोकता हो, अगर वह किसी अन्य अपराध के संबंध में हिरासत में है। यह विधायिका की मंशा के खिलाफ होगा। न्यायालय ने कहा, एक मामले में हिरासत का यह प्रभाव नहीं होता कि दूसरे मामले में गिरफ्तारी की आशंका समाप्त हो जाती है।
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