जेल में कैदी बना रहे घातक हथियार, निगरानी के बाद भी बेखौफ अपराधी
सीसीटीवी से चप्पे-चप्पे की निगरानी की बावजूद आज भी कैदी जेल में अपनी जरूरत की चीजों से हथियार तैयार कर रहे हैं। एक-दूसरे पर हमला कर उन्हें मौत की घात उतार रहे हैं। इस साल हमले में एक दर्जन से अधिक कैदी जख्मी हो चुके हैं।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुरक्षा के तमाम दावों और हजारों सीसीटीवी कैमरों की निगरानी के बावजूद तिहाड़ जेल में कैदी घातक हथियार तैयार कर रहे हैं। इन हथियारों का इस्तेमाल आए दिन गैंगवार या फिर आपसी रंजिश में एक-दूसरे पर जानलेवा हमला करने में किया जाता है। खूनी खेल में कभी कैदी गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं तो कभी कभी यह जानलेवा साबित होता है। पिछले महीनों में दो कैदी हमले में जान गंवा चुके हैं। सुरक्षा का पुख्ता दावा करने के बावजूद जेल प्रशासन उस स्थान को चिन्हित नहीं कर पाई है, जहां कैदी चोरी छिपे हथियार बना रहे हैं।
पिछले साल तिहाड़ जेल का एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें जेल नंबर 8-9 में गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की कुछ कैदियों ने हत्या कर दी थी। इसमें टिल्लू की हत्या में इस्तेमाल हथियार को कैदियों ने जेल में ही तैयार किया था। एग्जॉस्ट पंखे के पत्ती के जरिए चाकूनुमा हथियार बनाया गया था और इसी के जरिए गैंगस्टर पर ताबड़तोड़ हमला कर उसकी हत्या की गई थी। इस घटना के बाद जेल की सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए सीसीटीवी कैमरों का जाल बिछाया गया। साथ ही त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) का गठन किया गया। यहां तक कि घटना पर लगाम लगाने के लिए अत्याधुनिक कैमरे भी लगाए गए।
सीसीटीवी से चप्पे चप्पे की निगरानी की बावजूद आज भी कैदी जेल में अपनी जरूरत की चीजों से हथियार तैयार कर रहे हैं और एक दूसरे पर हमला कर उन्हें मौत की घात उतार रहे हैं। इस साल हमले में एक दर्जन से अधिक कैदी जख्मी हो चुके हैं। तिहाड़ जेल प्रशासन ने ऐसे उपकरण खरीदे हैं, जिसके जरिए वह जमीन में छिपे हथियारों का पता लगा सकते हैं। बावजूद इसके हथियार निर्माण पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
तिहाड़ जेल में 7500 कैमरों की मदद से निगरानी की जा रही है। सभी सीसीटीवी कैमरे तिहाड़ के अलावा मंडोली और रोहिणी जेल में लगे हुए हैं। सीसीटीवी कैमरों की निगरानी के लिए टीम गठित है। टीम 24 घंटे सीसीटीवी के जरिए कैदियों पर निगरानी रखते हैं। जेल प्रशासन का कहना है कि अभी करीब दो हजार और कैमरे लगाए जाने हैं।
जेल प्रशासन का कहना है कि कुछ दिनों के अंतराल में जेलों में तलाशी अभियान चलाए जाते हैं। इस साल जेल में चलाए गए अभियान के तहत 80 चाकू, 60 सुआ, तीन दर्जन सर्जिकल ब्लेड बरामद किए जा चुके हैं। सर्जिकल ब्लेड को छोड़कर कैदी अपने हाथों से ही जेल में चाकू और सुआ को तैयार करते हैं। जेल सूत्रों का कहना है कि दीवारों में सीलन की वजह से कैदी उसे कुरेद कर उसमें लगे सरिया को निकाल लेते हैं और फिर उससे घातक हथियार तैयार कर लेते हैं। इसके अलावा चम्मच, थाली, ग्रिल की पत्ती व अन्य सामान से हथियार बना लेते हैं।
- 27 जुलाई 2024 : भाई की हत्या का बदला लेने के लिए जेल नंबर 8/9 में लवली और लवीश नाम के दो भाइयों पर हमला।
- 6 जून 2024 : तिहाड़ जेल में बने अस्पताल में इलाज के दौरान कहासुनी होने पर हितेश नाम के कैदी पर हमला किया गया।
- 3 मई 2024 : जेल नंबर तीन में सेवादार का काम करने वाले शकूरपुर निवासी दीपक नाम के कैदी पर हमला कर उसकी हत्या की।
- 25 अप्रैल 2024 : जेल नंबर तीन में दबदबे के लिए दो कैदी गुट भिड़े, चार कैदी दुर्गेश, दीपक, धीरज और दिनेश घायल हो गए।
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