जूनियर डॉक्टरों ने 36वें दिन भी काम रखा बंद, कहा- जबतक मांगें नहीं होंगी पूरी तब तक...
अस्पताल के सेमिनार कक्ष में नौ अगस्त को प्रशिक्षु डॉक्टर का शव मिलने के बाद से घटना के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शन हो रहे हैं। डॉक्टरों ने स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय 'स्वास्थ्य भवन' के बाहर अपना धरना जारी रखा।
कोलकाता (आरएनआई) पश्चिम बंगाल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले को पूरा एक महीना बीत चुका है। मगर, राज्य सरकार, पुलिस और सीबीआई के हाथ अभी भी खाली है। इससे देशभर में नाराजगी है। जूनियर डॉक्टर लगातार आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के स्वास्थ्य भवन में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने सोमवार को भी अपना काम बंद रखा। वह दिन-रात न देखते हुए बस न्याय दिलाने के अपने संकल्प पर अडिग हैं।
घटना के बाद देशभर के डॉक्टर सड़कों पर उतर आए थे। इससे मरीजों को दिक्कत होने लगी। इस पर नौ सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सभी डॉक्टरों से 10 सितंबर को शाम पांच बजे तक काम पर लौटने का आग्रह किया था। शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी थी कि अगर काम से लगातार गायब रहे, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। हालांकि, फिर भी जूनियर डॉक्टर पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
डॉक्टरों ने स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय 'स्वास्थ्य भवन' के बाहर अपना धरना आठवें दिन भी जारी रखा। काम बंद किए आज 36 दिन हो गए। प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर का साफ कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वह धरना जारी रखेंगे।दरअसल, यह लोग कोलकाता पुलिस आयुक्त तथा राज्य के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों को हटाने की मांग कर रहे हैं।
जूनियर डॉक्टर का कहना है, 'हम तब तक काम बंद रखेंगे, जबतक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। इस अपराध को सुलझाने के लिए राज्य सरकार बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है।'
अस्पताल के सेमिनार कक्ष में नौ अगस्त को प्रशिक्षु डॉक्टर का शव मिलने के बाद से घटना के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शन हो रहे हैं। पुलिस ने इस सिलसिले में कोलकाता पुलिस के नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार किया था। टीएमसी सरकार और पश्चिम बंगाल पुलिस कठघरे में है। सुप्रीम कोर्ट से लगातार फटकार लग रही है। तनाव बढ़ता देख कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इससे पहले कोलकाता पुलिस मामले की जांच कर रही थी।
आरजी कर मामले को लेकर चल रहे गतिरोध को हल करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और जूनियर डॉक्टरों के बीच शनिवार को वार्ता विफल रहने के बाद सीएम बनर्जी ने निराशा जताई थी। उन्होंने कहा था, 'आज आपने कहा कि आप एक बैठक चाहते हैं, इसलिए मैंने इंतजार किया। आप लोग मेरा अपमान क्यों कर रहे हो? आप लोग कृपया मेरा इस तरह अपमान न करें। इससे पहले तीन बार मैंने इंतजार किया, लेकिन आप लोग नहीं आए।
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री आवास के द्वार पर तीन घंटे तक इंतजार करने के बाद उन्हें अनौपचारिक रूप से जाने के लिए कहा गया था। सीएम ममता बनर्जी से मिलने के बाद प्रतिनिधिमंडल में शामिल डॉ. अकीब ने कहा था, 'हमें कालीघाट में आधिकारिक बातचीत के लिए आने के लिए कहा गया था, जब हम वहां गए, तो हमने अपनी मांग से समझौता भी कर लिया बैठक का सीधा प्रसारण किया जाए। हमने कहा कि बैठक की रिकॉर्डिंग कर लीजिए और जब यह खत्म हो जाए तो कृपया हमें वह रिकॉर्डिंग उपलब्ध करा दीजिए। अधिकारी इस पर सहमत नहीं हुए और उन्होंने हमसे चाय पर बैठक करने का अनुरोध किया। लेकिन जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हम चाय तभी पीएंगे जब न्याय मिलेगा। हमने बाद में रिकॉर्डिंग की मांग भी छोड़ दी और सिर्फ बैठक के मिनट्स मांगे, लेकिन हमें बताया गया कि इसमें देरी हो गई है। अब कुछ भी नहीं किया जा सकता था। हम बारिश में इंतजार करते रहे, लेकिन हमें बिना किसी समाधान के लौटना पड़ा और सभी जूनियर डॉक्टर निराश हो गए। आज, संदीप घोष को गिरफ्तार कर लिया गया है और यह दर्शाता है कि हमारी मांग सही थी। घोष ने जो किया है वह एक संस्थागत अपराध है। ऐसे कई प्रिंसिपल और अधिकारी ऐसी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। हम चाहते हैं कि इसमें शामिल ऐसे सभी लोग इस्तीफा दें, न्याय मिलने तक हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।
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