जीव के लिए सदैव ही कल्याणकारी है श्रीभक्तमाल की कथा : संतश्री कुलबिन्दर दास महाराज
डॉ. गोपाल चतुर्वेदी
वृन्दावन (आरएनआई) गोविंद घाट स्थित अखिल भारतीय निर्मोही बड़ा अखाड़ा (श्रीहित रासमंडल) में सेवादार सतगुरु दरबार(पंजाब) के द्वारा चल रहा त्रिदिवसीय श्रीभक्तमाल कथा एवं संकीर्तन महोत्सव श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज के पावन सानिध्य में अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।महोत्सव में व्यासपीठ से संतश्री कुलबिन्दर दास महाराज (गुरुजी सतगुरु दरबार वाले) ने सभी भक्तों-श्रद्धालुओं को श्रीभक्तमाल की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि श्रीनाभादास महाराज कृत श्रीभक्तमाल ग्रंथ का श्रवण करने से व्यक्ति पाप मुक्त हो जाता है।साथ ही उनका कल्याण हो जाता है।इसीलिए इस ग्रंथ की कथा सदैव ही जीव के लिए कल्याणकारी है।
उन्होंने कहा कि हम सभी परम् सौभाग्यशाली हैं, कि श्रीधाम वृन्दावन की पावन भूमि पर विराजकर हरिभक्तों का चरित्र श्रवण कर रहे हैं।यहां केवल वही लोग आ पाते हैं,जिन पर श्रीराधा रानी कृपा करती हैं।
रास मण्डल के अध्यक्ष श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज ने कहा कि श्रीभक्तमाल ग्रंथ में रचित भगवदप्राप्त संतों व भक्तों के चरित्रों का श्रवण करने से प्रभु की भक्ति सहज में ही प्राप्त हो जाती हैं।इसीलिए श्रीभक्तमाल की कथाएं अत्यंत महिमामयी व पुण्यदायी हैं।
श्रीराधा दामोदर मंदिर के अंगसेवी आचार्य कनिका प्रसाद गोस्वामी महाराज (बड़े गुसाईं) एवं ब्रज सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि अखिल भारतीय निर्मोही बड़ा अखाड़ा (श्रीहित रासमंडल) श्रीराधावल्लभ संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है।इस आश्रम के द्वारा श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज के निर्देशन में न केवल श्रीधाम वृन्दावन में अपितु समूचे देश में अनेकों सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं।जो कि अति प्रशंसनीय है।
महोत्सव में महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद शास्त्री महाराज, महंत दंपति शरण महाराज(काकाजी),आचार्य दामोदर चंद्र गोस्वामी, श्रीराधा मदनमोहन मंदिर के महंत विजय किशोर गोस्वामी महाराज,आचार्य आशीष गोस्वामी, महंत कुंजबिहारी दास (भक्तमाली), भागवताचार्य रामप्रकाश भारद्वाज "मधुर", पण्डित राधावल्लभ वशिष्ठ, डॉ. राधाकांत शर्मा, दिनेश सिंह तरकर, इन्द्र शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।संचालन ठाकुर श्रीराधा दामोदर मंदिर के अंग सेवी आचार्य दामोदर चंद्र गोस्वामी ने किया।
महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ। जिसमें असंख्य व्यक्तियों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया।
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