जी20 घोषणापत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश की गूंज, ‘आज का युग युद्ध का नहीं’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत में जो संदेश दिया था, उसकी गूंज जी20 शिखर सम्मेलन के बुधवार को जारी घोषणापत्र में सुनाई दी। घोषणापत्र में नेताओं ने यूक्रेन युद्ध को तत्काल खत्म करने का आह्वान करते हुए कहा कि “आज का युग, युद्ध का नहीं होना चाहिए।”

Nov 16, 2022 - 21:45
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जी20 घोषणापत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश की गूंज, ‘आज का युग युद्ध का नहीं’

बाली, 16 नवंबर 2022, (आरएनआई)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत में जो संदेश दिया था, उसकी गूंज जी20 शिखर सम्मेलन के बुधवार को जारी घोषणापत्र में सुनाई दी। घोषणापत्र में नेताओं ने यूक्रेन युद्ध को तत्काल खत्म करने का आह्वान करते हुए कहा कि “आज का युग, युद्ध का नहीं होना चाहिए।”

दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के अंत में एक विज्ञप्ति जारी की गई जिसमें कहा गया कि यूक्रेन पर रूस के हमले और दुनिया पर इसके व्यापक प्रभाव पर विस्तृत चर्चा की गई।

इसने कहा कि समूह के सदस्यों ने शांति, शत्रुता को समाप्त करने और यूक्रेन में युद्ध को खत्म करने का आह्वान करते हुए यह रेखांकित किया कि मौजूदा स्थिति के जारी रहने से खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

विज्ञप्ति में कहा गया, “संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान, संकटों को दूर करने के प्रयास, साथ ही कूटनीति और संवाद महत्वपूर्ण हैं। आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए।”

घोषणा में कहा गया है कि कई जी -20 सदस्यों ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध की कड़ी निंदा की और यह विचार व्यक्त किया कि मास्को का “यूक्रेन के खिलाफ अवैध, अनुचित और अकारण युद्ध वैश्विक आर्थिक सुधार को बाधित कर रहा है।”

इस मामले के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि विज्ञप्ति पर सभी देशों के बीच आम सहमति बनाने में भारत ने महत्वपूर्ण और जटिल भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा कि भारत ने सभी विकासशील देशों और उभरते बाजारों के साथ मिलकर अंतिम बयान और बयान की प्रस्तावना का मसौदा तैयार किया।

उन्होंने कहा कि भारत अपने सकारात्मक और रचनात्मक दृष्टिकोण के माध्यम से एक नेता, समाधान प्रदाता और सर्वसम्मति बनाने वाले के रूप में उभरा है।

जी20 की विज्ञप्ति में कहा गया, “शांति और स्थिरता की रक्षा करने वाली अंतरराष्ट्रीय कानून और बहुपक्षीय व्यवस्था को कायम रखना जरूरी है। इसमें संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में निहित सभी उद्देश्यों और सिद्धांतों की रक्षा करना और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना शामिल है।”

मास्को के परमाणु विकल्प का उपयोग कर सकने के कथित संकेत के स्पष्ट संदर्भ में विज्ञप्ति में कहा गया कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल या इस्तेमाल की धमकी अस्वीकार्य है।

इसमें कहा गया, “बैठक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में आयोजित की गई थी, क्योंकि यूक्रेन में युद्ध जारी है और इसके प्रभाव यूरोप से परे भी देशों द्वारा महसूस किए जा रहे हैं। सदस्यों ने मानवीय संकट, युद्ध के आर्थिक और वित्तीय प्रभावों के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की और युद्ध को जल्द से जल्द समाप्त करने का आह्वान किया।”

इसने कहा कि कई सदस्य देशों ने युद्ध को अकारण व अनुचित बताया और उसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया।

जी20 के कई सदस्य देशों का मानना था कि जी20 को उसके अपने अधिदेश पर ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चर्चा आर्थिक प्रभावों पर केंद्रित हो तथा एक व्यापक व संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जाए। “कुछ सदस्य देशों ने प्रतिबंधों के आर्थिक परिणामों को लेकर चिंता जाहिर की।”

फरवरी में यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ-साथ यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से कई बार बात की।

जेलेंस्की के साथ चार अक्टूबर को फोन पर बातचीत में मोदी ने कहा था कि संकट का “कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता” और भारत किसी भी शांति प्रयास में योगदान देने के लिए तैयार है।

भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और यह रुख कायम रखा है कि कूटनीति और बातचीत के माध्यम से संकट का समाधान किया जाना चाहिए।

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