जी एफ़ कॉलेज में आज विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरण के साथ ‘हिंदी सप्ताह समारोह’ का समापन
जी एफ़ कॉलेज में आज विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरण के साथ ‘हिंदी सप्ताह समारोह’ का समापन हो गया। दिनांक 14 से 20 सितंबर तक हिंदी विभाग द्वारा आयोजित हिंदी सप्ताह के अंतर्गत भाषण, निबंध, सुलेख, शुद्ध वर्तनी, सरकारी पत्र लेखन आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।
शाहजहांपुर। (आरएनआई) पत्र लेखन प्रतियोगिता में हर्ष पांडेय को प्रथम तथा हिमांशु शुक्ला को द्वितीय पुरस्कार प्रदान किया गया। सुलेख प्रतियोगिता में हिमांशु शुक्ला को प्रथम, अरीबा नईम को द्वितीय तथा शिवानी राठौर को तृतीय स्थान और रामकृपाल सिंह तथा ज्ञानेश यादव को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।
शुद्ध वर्तनी लेखन में हिमांशु शुक्ला एवं सारिका मौर्य को प्रथम पुरस्कार, शिवानी राठौर को द्वितीय पुरस्कार तथा नीलेश चौबे और सृष्टि आर शर्मा को तृतीय पुरस्कार हासिल हुआ। स्लोगन प्रतियोगिता में शैलजा देवी को प्रथम, हिमांशु शुक्ला को द्वितीय तथा संजना सिंह को तृतीय स्थान और अनामिका तिवारी को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। निंबध लंखन प्रतियोगिता में सानिया फ़ातिमा को प्रथम, फ़ौज़िया को द्वितीय और मन्तशा को तृतीय स्थान और अरशद अली एवं सानिया को सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुआ।प्राचार्य डॉ मोहम्मद तारिक़ ने विजेताओं को स्मृति चिह्न और प्रमाण-पत्र प्रदान किए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं।
विभागाध्यक्ष डॉ फ़ैयाज़ अहमद ने कहा कि राजभाषा देश के भिन्न-भिन्न भागों को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करती है इसके माध्यम से जनता न केवल अपने देश की नीतियों और प्रशासन को भलीभांति समझ सकती है, बल्कि उसमें स्वयं भी भाग ले सकती है। प्रजातंत्र की सफलता के लिए ऐसी व्यवस्था अत्यंत आवश्यक है।हिंदी विभाग के डॉ मोहम्मद काशिफ़ नईम तथा डॉ परवेज़ मुहम्मद ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ मोहम्मद अरशद ख़ान तथा आभार ज्ञापन डॉ शमशाद अली ने किया।इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे।
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