जिलाबदर बदमाशों ने आधी रात को कार में तोड़फोड़ की, पुलिस ने नहीं लिखी एफआईआर
एनसीआर दर्ज कर फरियादी को किया रवाना
गुना (आरएनआई) जिलाबदर बदमाशों ने बलवंत नगर में एक कार में तोड़फोड़ कर डाली। पुलिस ने आरोपियों के विरूद्द एफआईआर दर्ज करने के बजाए दिसंबर एंडिंग का हवाला देते हुए पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य घटना के तौर पर महज एनसीआर दर्ज की। घटना को अंजाम देने वाले आरोपी जिलाबदर बदमाश हैं, फिर भी एफआईआर दर्ज न किए जाने से ये मामला चर्चा में है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बलवंत नगर निवासी फरियादी दिव्यांशु शर्मा बीती रात घर पर सो रहा था। उसके घर के बाहर उसकी टाटा हैरियर कार क्रमांक MP 31 ZB 8055 खड़ी थी। रात करीबन 01.20 बजे उसे गाड़ी में पत्थर मारने की आवाज आयी तो उसने उठकर देखा दो बदमाश उसकी कार में पत्थरों से तोड़फोड़ कर रहे थे। तोड़फोड़ के आरोपियों के नाम मंजीत रघुवंशी निवासी ग्राम धमनार हाल गुलाबगंज केंट गुना एवं कुलदीप रावत निवासी गुलाबगंज बताए जा रहे हैं। दिव्यांशु के मुताबिक उसने जब दोनों आरोपियों को ललकारा तो वह भाग खड़े हुए। आरोपियों ने कार में करीब 45 हजार रुपये का नुकसान कर दिया। फरियादी के अनुसार जब तोड़फोड़ की जा रही थी तब उसके किरायेदार भारत श्रीवास्तव और मयंक पाटिल भी जाग गए थे।
थाने में पुलिस बोली दिसंबर एंडिंग है एफआईआर दर्ज नहीं करेंगे
फरियादी ने बताया कि जब वो इस घटना की रिपोर्ट लिखवाने सिटी कोतवाली गए तो पुलिस ने मामले में कोई रुचि नहीं दिखाई। पहले अज्ञात आरोपियों के विरूद्द आवेदन लिखकर लाने को कहा। जब मैने एफआईआर दर्ज करने का निवेदन किया तो बोले कि दिसंबर एंडिंग चल रही है, इतना बड़ा मामला नहीं है कि एफआईआर दर्ज की जाए। पुलिस ने बाद में एनसीआर ही दर्ज की, एफआईआर दर्ज नहीं की। फरियादी ने बताया कि जिन्होंने मेरी कार में तोड़फोड़ की वो आरोपी जिलाबदर बदमाश हैं, जिनका जिलाबदर 2025 तक प्रभावी है।
क्या होता है दिसंबर एंडिंग
पुलिस का अपराध रजिस्टर हर साल 01 जनवरी से 31 दिसंबर तक चलता है। थाना प्रभारी अपनी सीआर बेहतर दिखाने के लिए और दर्ज अपराधों में प्रभावी कार्यवाही दर्शाने के लिए दो तरह के हथकंडे अपनाते हैं। पहला तो ये कि छोटे अपराध संज्ञेय होने के बाद भी पीड़ित से घटना का आवेदन लेकर उसे चलता कर दिया जाता है या फिर अपराध की गंभीरता को कम दिखाते हुए उसे नॉन कांग्निजेबल रिपोर्ट (एनसीआर) के तौर पर दर्ज कर लेते हैं। ऐसा करने से थाने पर एफआईआर की संख्या नहीं बढ़ती। इसी तरह साल भर में दर्ज हुए जिन अपराधों में विवेचना कछुआ चाल से चल रही हो उनमें भी दिसंबर में तेजी दिखाते हुए उनका निराकरण करने की कोशिश की जाती है। ऐसे में दिसंबर महीने में कम से कम एफआईआर दर्ज करने का प्रयास किया जाता है जिससे विवेचक स्तर के अधिकारियों पर नए केस का भार न आए और वो पुराने पेंडिंग केस निपटा सकें।
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