जारी रहेगा शांतिपूर्ण आंदोलन : सोनम वांगचुक
एलएबी के पदाधिकारियों ने शनिवार को आरोप लगाया कि सीमा मार्च से पहले प्रशासन ने लेह को युद्ध क्षेत्र में बद दिया है। इसलिए किसी भी प्रकार के टकराव से बचने के लिए प्रस्तावित कार्यक्रम को रद्द किया जाता है।
लेह (आरएनआई) लेह एपेक्स बॉडी ने सात अप्रैल को चीन सीमा तक मार्च निकालने के फैसले को स्थगित कर दिया है। एलएबी के पदाधिकारियों ने शनिवार को आरोप लगाया कि सीमा मार्च से पहले प्रशासन ने लेह को युद्ध क्षेत्र में बद दिया है। इसलिए किसी भी प्रकार के टकराव से बचने के लिए प्रस्तावित कार्यक्रम को रद्द किया जाता है।
पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक और एलबीए के अध्यक्ष छेरिंग दोर्जे ने शनिवार को प्रेसवार्ता में कहा कि शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने चांगथांग के पशमीना उत्पादकों की दुर्दशा के बारे में देश के लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने का उद्देश्य पहले ही हासिल कर लिया है, जो दक्षिण में विशाल औद्योगिक संयंत्र और उत्तर में चीनी अतिक्रमण के कारण चारागाह भूमि खो रहे हैं।
लेह में मौजूदा स्थिति को देखते हुए सरकार एक पागल हाथी की तरह काम कर रही है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा या लोगों की भावनाओं व उनकी समस्याओं की कोई परवाह नहीं। इसकी एकमात्र चिंता चुनाव जीतना है और यह किसी भी कीमत पर लोगों को मार्च करने से रोक सकती है। हम राष्ट्रीय सुरक्षा और शांतिपूर्ण माहौल को लेकर चिंतित हैं।
लद्दाख में जमीनी स्थिति के बारे में देश में जागरूकता पैदा करने का हमारा उद्देश्य हासिल हो गया है, इसलिए हम लोगों के हित में और टकराव से बचने के लिए प्रस्तावित सीमा मार्च को वापस ले रहे हैं। चरवाहों की स्थिति को उजागर करने के लिए एलएबी ने चीन सीमा के पास चांगथांग तक सीमा मार्च की घोषणा की थी।
इससे पहले जिला मजिस्ट्रेट संतोष सुखदेव ने शुक्रवार को कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत जारी निषेधाज्ञा सात अप्रैल को लागू होगी और निर्देश दिया कि प्रशासन की मंजूरी के बिना कोई जुलूस नहीं निकलेगा।
वांगचुक ने कहा कि वे पहले से उम्मीद कर रहे थे कि सरकार मार्च को रोक देगी, क्योंकि कई चीजें हैं, जिन्हें छिपाकर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्ण दंगा सामग्री के साथ पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती, वॉलंटियर्स को पुलिस स्टेशनों पर बुलाना और उन्हें धमकाना, इसके अलावा लेह को युद्ध क्षेत्र में बदलने के बाद लोगों को असुविधा पैदा करना दर्शाता है कि एक सोची समझी साजिश के तहत झड़प की संभावना है।
वांगचुक ने कहा कि वे अपनी मांगों को उजागर करने के लिए शांति और शांतिपूर्ण तरीकों में दृढ़ता से विश्वास करते हैं, जिनमें पश्मीना चरागाहों की मौजूदा स्थितियों से जुड़ी मांगें भी शामिल हैं। एलएबी ने लोगों, विशेषकर मरीजों, पर्यटकों और छात्रों को किसी भी असुविधा से बचने के लिए निषेधाज्ञा आदेशों को तत्काल वापस लेने और इंटरनेट सेवाओं को सामान्य गति से बहाल करने की मांग की।
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