'जाति जनगणना रिपोर्ट कैबिनेट के सामने रख लागू करवाऊंगा', सीएम सिद्धारमैया का पिछड़ा वर्ग से वादा
सिद्धारमैया ने मैसूर में पिछड़ा वर्ग छात्रावास के पूर्व छात्र संघ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर कहा 'जिस व्यवस्था से हम आते हैं उसे बदला जाना चाहिए। हम वह बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी सरकार ने समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों को पहचानने और उनके उत्थान के लिए सामाजिक जनगणना की। मैंने (2018 में) सत्ता खो दी और इसे लागू नहीं किया गया।
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मैसूर (आरएनआई) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने रविवार को जाति जनगणना की वकालत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि पिछड़े और वंचित समुदायों की पहचान करने के लिए जाति जनगणना आवश्यक है। सिद्धारमैया ने सात महीने पहले सौंपी गई जाति जनगणना रिपोर्ट को कैबिनेट के समक्ष पेश करने के बाद उस पर कार्रवाई करने का वादा किया।
सिद्धारमैया मैसूर में पिछड़ा वर्ग छात्रावास के पूर्व छात्र संघ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, 'जिस व्यवस्था से हम आते हैं उसे बदला जाना चाहिए। हम वह बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी सरकार ने समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों को पहचानने और उनके उत्थान के लिए सामाजिक जनगणना की। मैंने (2018 में) सत्ता खो दी और इसे लागू नहीं किया गया।' मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में हमें रिपोर्ट मिली है। मैं इसे कैबिनेट के सामने रखूंगा और इसे लागू करवाऊंगा।
इस दौरान उन्होंने कहा कि जाति जनगणना लंबे समय से कांग्रेस पार्टी का सिद्धांत रहा है। उन्होंने कहा, '1930 के बाद से, राष्ट्रीय जनसंख्या जनगणना के हिस्से के रूप में जाति-आधारित डेटा एकत्र नहीं किया गया है। अब, कई राज्यों में जाति जनगणना कराने पर चर्चा जोर पकड़ रही है।'
29 फरवरी को कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के. जयप्रकाश हेगड़े ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बहुप्रतीक्षित सामाजिक-आर्थिक और शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे जाति जनगणना रिपोर्ट के रूप में जाना जाता है। रिपोर्ट को समाज के कुछ वर्गों और यहां तक कि सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर भी आपत्तियों का सामना करना पड़ा है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने संबोधन के दौरान शिक्षा के महत्व पर भी चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि सच्ची शिक्षा को वैज्ञानिक सोच और जिम्मेदार व्यक्तियों को बढ़ावा देना चाहिए। सिद्धारमैया ने छात्रावास के पूर्व छात्रों से समाज को कुछ वापस देने का आह्वान किया, जिन्हें सरकारी कार्यक्रमों से लाभ हुआ है। उन्होंने कहा, 'आपमें से कई लोगों ने अपने क्षेत्रों में सफलता हासिल की है। अब, जरूरतमंद लोगों को अपना समर्थन देने का समय आ गया है। समाज के कमजोर वर्गों की मदद करना ही समाज के प्रति हमारे ऋण को चुकाने का सही तरीका है।
सिद्धारमैया ने स्वार्थ के खतरों के प्रति भी पूर्व छात्रों को आगाह किया। उन्होंने कहा कि 'जो लोग केवल अपने परिवार के बारे में सोचते हैं वे आत्म-केंद्रित हो जाते हैं। इस मानसिकता ने वृद्धाश्रमों की संख्या में वृद्धि में योगदान दिया है। हमारे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए।
सिद्धारमैया ने 1977 में शुरू हुए छात्र छात्रावासों का जिक्र करते हुए कहा कि यह एक ऐसा कदम है, जिसने पिछड़े वर्ग के छात्रों की शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि आज इन छात्रावासों में 187000 छात्र रह रहे हैं। छात्रावासों के प्रयासों से यह सुनिश्चित हुआ है कि वंचित पृष्ठभूमि के बच्चों की शिक्षा तक पहुंच हो।
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