जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में एफआईआर की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका अपरिपक्व बताकर खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर नकदी मिलने के मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। एक वकील ने यह याचिका दाखिल की है, जिस पर दो जजों की पीठ में सुनवाई हुई।

Mar 28, 2025 - 15:00
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जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में एफआईआर की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका अपरिपक्व बताकर खारिज की

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से नकदी की जली हुई गड्डियां मिलने के मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने याचिका को अपरिपक्व करार देते हुए समय से पहले वाली बताया। जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि आंतरिक जांच चल रही है। जांच के निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास कई विकल्प खुले हैं। इसलिए पीठ ने अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा और तीन अन्य की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

पीठ ने कहा, 'एक बार आंतरिक जांच पूरी हो जाने के बाद सभी तरह के संसाधन खुले हैं। यदि आवश्यक हो तो सीजेआई एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे सकते हैं। हमें आज इस पर क्यों विचार करना चाहिए?

सुप्रीम कोर्ट में नेदुम्परा और तीन अन्य ने रविवार को याचिका दायर कर पुलिस को मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी। याचिका में के वीरस्वामी मामले में 1991 के फैसले को भी चुनौती दी गई है। शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की पूर्व अनुमति के बिना हाईकोर्ट या शीर्ष अदालत के किसी न्यायाधीश के खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती।

कथित नकदी की बरामदगी की खबरें 14 मार्च को रात करीब 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के घर के एक हिस्से में आग लगने के बाद फैली। लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद अग्निशमन अधिकारी मौके पर पहुंचे थे। तब से बीते दो हफ्ते में कई तरह के बयान सामने आ चुके हैं। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त इन-हाउस कमेटी के तीन सदस्यों ने मामले की जांच शुरू करते हुए जस्टिस वर्मा के आवास का दौरा किया था।

विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने की सिफारिश की। सीजेआई के निर्देश के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें पहले ही अहम वैधानिक फैसलों से अलग कर दिया था। पूरे घटनाक्रम पर जस्टिस वर्मा ने केवल इतना कहा है कि नकदी बरामद होने के आरोप निंदनीय हैं। उन्होंने कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा स्टोररूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई।

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए विगत 22 मार्च को, सीजेआई ने आरोपों की इन-हाउस जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय की जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड भी करने का फैसला लिया। इसमें नकदी के बड़े भंडार की कथित खोज की तस्वीरें और वीडियो शामिल थे।

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के घर नकदी मिलने का मामला सुर्खियों में है। इससे न्यायपालिका की साख को भी गहरा झटका लगा है। पहली बार देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले से संबंधित प्रारंभिक रिपोर्ट और जले हुए नोटों के वीडियो सार्वजनिक किए। 

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