जलवायु वित्त पर विशेषज्ञों की सलाह, कहा- विकासशील देशों को 2030 तक हर साल एक ट्रिलियन डॉलर की जरूरत

विशेषज्ञों ने कहा कि 2030 से पहले निवेश में कोई भी कमी आने वाले वर्षों पर दबाव डालेगी। इससे जलवायु स्थिरता लाना कठिन और महंगा हो सकता है।

Nov 14, 2024 - 16:17
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जलवायु वित्त पर विशेषज्ञों की सलाह, कहा- विकासशील देशों को 2030 तक हर साल एक ट्रिलियन डॉलर की जरूरत

नई दिल्ली (आरएनआई) अजरबैजान के बाकू में चल रहे संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के कॉप-29 जलवायु शिखर सम्मेलन में जलवायु वित्त को लेकर छिड़ी बहस के बीच विशेषज्ञों ने विकासशील देशों को सलाह दी है। विशेषज्ञों ने कहा कि दुनियाभर में बढ़ती गर्मी से निपटने के लिए विकासशील देशों को 2030 तक हर साल एक ट्रिलियन डॉलर की जरूरत है। 

विशेषज्ञों ने एक रिपोर्ट में कहा है कि जलवायु वित्त की जरूरत को निजी और सार्वजनिक स्रोतों से पूरा किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि जलवायु वित्त में देरी से जोखिम बढ़ सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि 2030 से पहले निवेश में कोई भी कमी आने वाले वर्षों पर दबाव डालेगी। इससे जलवायु स्थिरता लाना कठिन और महंगा हो सकता है। अगर अब निवेश में सफलता नहीं मिलती है तो लक्ष्य को पूरा करने के लिए कम समय सीमा में बड़ी रकम जुटानी होगी। 

विशेषज्ञों ने कहा कि वैश्विक जलवायु प्रबंधन के लिए 2030 तक सालाना 6.3-6.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत पड़ेगी। जबकि उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए हर साल 2.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी। इसमें उभरते बाजारों और चीन के बाहर विकासशील देशों के लिए 2.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत होगी। इसमें स्वच्छ ऊर्जा के लिए 1.6 ट्रिलियन, जलवायु अनुकूलन के लिए 0.25 ट्रिलियन, नुकसान और क्षति के लिए 0.25 ट्रिलियन, टिकाऊ कृषि और प्राकृतिक पूंजी के लिए 0.3 ट्रिलियन और उचित परिवर्तन के लिए 0.04 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।

जलवायु वित्त विशेषज्ञ अमर भट्टाचार्य, वेरा सोंगवे और निकोलस स्टर्न की सह-अध्यक्षता में विशेषज्ञ समूह का गठन COP26 से पहले कॉप के अध्यक्षों को सलाह देने के लिए किया गया था। विशेषज्ञों के समूह का कहना है कि जलवायु वित्त की जरूरतों को पूरा करने के लिए सभी वित्तपोषण स्रोतों का उपयोग करना आवश्यक है। इसके साथ ही लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हर साल 2030 तक जलवायु वित्त में चार गुना और बाहरी वित्त में छह गुना की बढ़ोतरी की भी जरूरत है। वहीं बेहतर अर्थव्यवस्थाओं से द्विपक्षीय जलवायु वित्त को दोगुना या उससे अधिक करने की आवश्यकता है।

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