जम्मू कश्मीर और लद्दाख में भूकंप के झटके
किश्तवाड़ में देर रात करीब दो बजर 27 मिनट पर 3.5 की तीव्रता का भूकंप आया। हालांकि इससे किसी तहर के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है।
जम्मू (आरएनआई) जम्मू कश्मीर और लद्दाख में भूकंप के झटके रिकॉर्ड किए गए हैं। किश्तवाड़ में देर रात करीब दो बजर 27 मिनट पर 3.5 की तीव्रता का भूकंप आया। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने इसकी जानकारी दी है। इससे किसी तहर के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है।
लद्दाख के जिला कारगिल में शनिवार रात दस बजकर 47 मिनट पर 3.4 तीव्रता का भूकंप आया। दोनों की गहराई 10 किलोमीटर मापी गई है। बीते दो दिन से जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ और डोडा क्षेत्र में भूकंप के छोटे-छोटे झटके दर्ज किए गए हैं। हालांकि इनसे किसी तहर के नुकसान नहीं हुआ है।
किश्तवाड़ में शुक्रवार को पांच और डोडा में एक बार भूकंप का झटका लगा। शुक्रवार रात 11 बजे तक कुल छह झटके लग चुके थे। किश्तवाड़ में शाम 5:20 पर 3.8, सुबह 6: 56 पर 2.9, वीरवार रात 2 :09 पर 3.2, रात 1 :24 पर 2.9 की तीव्रता का झटका महसूस किया गया। वहीं, डोडा में सुबह 5:37 पर 2.6 की तीव्रता का झटका लगा। किश्तवाड़ में 5 तारीख को अंतिम भूकंप रात 11 .01 बजे आया जिसकी तीव्रता 3.2 रही।
पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर सात या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।
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